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Friday 27 November 2015

सहिसुणता और असहीसुणता

 सहिसुणता और असहीसुणता की बहस में एक चीज समझ में नही आ रही हैं असहीसुणता पर बोलने पर सबसे ज्यादा विरोध भक्त क्यूँ करते हैं |   जबकि  कट्टर पंथियों द्वारा जो हत्याए हुयी हैं उनमे सीधे तौर पर राज्य सरकार जिम्मेदार हैं ।  क्यूंकि कानून व्यस्था प्रदेश की जिम्मेदारी होती हैं जिसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री जिम्मेदार होता हैं । जिस तरह गुजरात दंगो के लिए मोदी को कहा जाता हैं  तो फिर  दादरी के लिए अखिलेश, मोहसिन शेख के मामले में कांग्रेस के पृथ्वीराज चौहान और कर्नाटक के सिद्धारमैया कलबुर्गी की मौत के जिम्मेदार हैं उनको आप क्यूँ बचाते हो कम से कम उनको भी सेकुलरिज्म का जो ठेका लिए उसका भुगतान करने दो माना की सबमे भक्त ही होते हैं पर जिम्मेदारी तो राज्य सरकार की बनती हैं  इसका मतलब  तुम्ही पैसे लेते हो तथाकथित सेक्युलर पार्टियों से और फिर दंगे हत्याए करते हो

Thursday 26 November 2015

#‎khudaikhidmatgaar‬ ‪#‎खुदाईखिदमतगार


जवाब उनको जो कहते हैं की खुदाई खिदमतगार का नाम ईश्वरीय सेवक क्यूँ नही या इसका मकसद क्या हैं ? तो भाई लोग दोनों का मतलब एक हैं जैसे आपके लिए भगवान् और मेरे लिए अल्लाह (वैसे मैं तो खुदाई खिदमतगार कहलाने के लायक ही नही लेकिन कोशिश पूरी हैं इंशा अल्लाह पूरा तो नही लेकिन कुछ हद तक बन जाऊंगा) खुदाई खिदमतगार का मकसद सिर्फ इंसानियत के परिपूर्ण समाज की कल्पना हैं जिसमे किसी भी तरह का कोई भेद न हो खान साहब (खान अब्दुल गफ्फार खान उर्फ़ सीमान्त गांधी ) का कहना था एक खुदाई खिदमतगार अपने ईश्वर से एकांत में वादा करेगा की वह जिंदगी भर सच्चा खुदाई खिदमतगार रहेगा | (खुदाई खिदमतगार बनने की शर्ते फिर कभी ) बाकी आपको क्यूँ लगता हैं ये सिर्फ मुसलमानों की संस्था हैं आप Kripalभाई Mahipal जी ‪#‎डॉ‬कुश कुमार Chinmay Khare को भी देख लीजिये मुझे छोड़ो मैं मुसंघी हूँ (आपके हिसाब से ) Hafeezभाई Faisalभाई को देख लीजिये या कभी समय निकाल कर थोडा टाइम उनके साथ बिताओ तब कोई फैसला करो खुद से कभी किसी भी व्यक्ति या संस्था का आकलन मत करो मेरे दोस्त ‪#‎khudaikhidmatgaar‬ ‪#‎खुदाईखिदमतगार‬

Sunday 15 November 2015

#पेरिस

कल पेरिस अटैक में कुछ बोलने या कहने की हिम्मत नही थी तो बस एक चुप्पी अख्तियार कर ली थी । लेकिन वो भी कुछ सांप्रदायिक लोगो को बर्दाश्त नही क्यूंकि कल उनके लिए मुसलमानो को घेरने का मौका था तो इंसानियत की मौत उनके लिए जश्न था । ‪#‎पेरिस‬ में जो भी हुआ उससे मुसलमान खुद को अलग नही कर सकता वो अलग बात हैं की भारतीय मुसलमानो का उससे क्या ताल्लुक़ लेकिन यहूदी अमेरिकी हाथ कहके नकारा भी नही जा सकता क्यूंकि करने वाले जो लोग थे वो मुसलमान ही हैं वो अलग बात हैं की उनका इस्लाम से कोई लेना देना नही हैं । हाँ तो साम्प्रदायिक लोग आप ने न कभी सांप्रदायिक सक्तियों का विरोध न किया हैं और ना ही करने की हिम्मत हैं । तो आपसे ये हो भी नही पायेगा। हमारे लिए बगदादी कल भी दुश्मन था और आज भी दुश्मन ही हैं,और इंशा अल्लाह हमेशा रहेगा क्यूंकि खलीफा कभी चोर और बलात्कारी नही होते । बाकी सेकुलरिज्म का नकाब उतर गया हैं जो सेक्युलर और इंसानियत की बात करते थे आप बस कम्बल और फल बाँट कर फोटो लगाओ वो आपका बढ़िया पी आर हैं । और ये धमकी देना बंद कीजिये की इंटेलिजेंस की लिस्ट बन गयी हैं या आपने सुपारी दे दी हैं । बस ये पता चल गया की मुसलमानों की सुपारी भी अब दी जाती हैं ।

Thursday 12 November 2015

बुर्के को गुलामी का प्रतिक बताती हैं।

किताबी चेहरा पर हमारी महिला मित्र हैं बहुत बड़ी समाजसेविका है, कई मुद्दों पर कार्यकर्म भी चलाती हैं, दिल से इज्जत करता हूँ इंशा अल्लाह आगे भी रहेगी ।बकरीद के समय से जानवरों के अधिकार की बात करने लगी ठीक हैं। बकरीद की कुर्बानी या फिर बलि पर एक बड़ी बहस की जरुरत हैं, ख़तम करवा पाना किसी एक के बस की बात नही (खैर उस पर फिर कभी) आज का मामला ये हैं की मोहतरमा हमेशा हिजाब और बुर्के को गुलामी का प्रतिक बताती हैं। जबकि शायद ये बताना भूल जाती हैं की दुसरे मजहब में भी शादी की पहचान बताने के लिए सिन्दूर और बिंदी की जरुरत पड़ती हैं,सही भी हैं । मेरा विरोध बस यही हैं की अगर कोई भी कार्य किसी से जबरदस्ती कराया जाए चाहे वो बुर्का हो या सिन्दूर बिंदी तो गलत हैं। अगर कोई खुद से लगाये तो उसमे क्या आपत्ति आपको सिन्दूर बिंदी से कोई दिक्कत नही हैं । मैडम आपसे यही विनती हैं की महिलाओं की स्थिति सभी धर्मो में कमोबेश एक ही हैं लेकिन विरोध सिर्फ बुर्के का समझ में नही आता अपने दुसरे सवाल भी उठाये हैं लेकिन ये बुर्के वाला थोडा ज्यादा हो गया । और अगर वाकई में महिला अधिकार को लेकर इतनी सजग हैं तो कुछ महिला शशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए करिए ये सिर्फ धर्म के अनुसार विरोध सही नही । अगर बुरा लगे तो माफ़ी

Sunday 8 November 2015

मन से एक बात क्यूंकि आज बहुत ज्यादा ख़ुशी हैं ।

सुबह एक डर था मन में जब सुनाई दे रहा था भाजपा जीत गयी । भाजपा समर्थक मित्र हैं ट्विटर पर पोस्ट भी किये थे । "पुरुष्कार गया,सम्मान गया और अब बिहार गया" मन में यही सवाल था क्या (गोविन्द पंसारे, कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर, मोहसिन शेख, मुहम्मद अखलाक़ और भी बहुत से नाम हैं )जिन्हे सांप्रदायिक ताकतों ने भीड़ की शक्ल में मार दिया। क्या उनकी मौत सही थी ?  क्या दादरी में जो हुआ वो सही था । अल्लाह से  यही दुआ की अगर इस देश के नसीब में आपने साम्प्रदायिकता ही लिख दिया हैं तो कोई नही हम फिर से लड़ेंगे साम्प्रदायिकता के खिलाफ अगर आप अच्छा चाहते हैं । किसी के लिए नमाज़ रोज़ा नही किया पर आज सिर्फ साम्प्रदायिकता की हार के लिए किया, दुआ क़ुबूल भी हुयी नतीजा सामने हैं ।  एक अच्छी चीज ये भी हुयी तथाकथित सांप्रदायिक पहचान बन गयी पार्टी मजलिस इत्तेहादुल  मुस्लिमीन भी अपना खाता नही खोल पायी । बस दिल से दुआ हैं सभी बिहार के लोगो से की आपने अपने साथ साथ हमारे उत्तर प्रदेश को जलने से बचा लिया क्यूंकि यहाँ पर मुलायम सिंह यादव और मोदी मिलकर प्रदेश को मुजफ्फर नगर से भी ज्यादा जलाते । ख़ुशी हैं और उम्मीद भी अब इस देश में चुनाव में मुद्दे शायद साम्प्रदायिकता न हो । एक अच्छी रात हैं फिर से अच्छी सुबह  के लिए ।  ख़ुशी के आंसू शायद न दिखे पर हैं तो हैं ।  लव यु आल बिहारवासी आपने देश को फिर से एक नयी दिशा दी धन्यवाद ।


Friday 9 October 2015

सामाजिक बेड़िया और जन्मदिन

 Mohammed Kaif



ना जाने कैसे सामाजिक बेड़िया हैं ये की इंसान जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता हैं उसके सामने जता नही सकता अकेले में ही सिर्फ | मेरे पिता मुझसे बहुत प्यार करते थे पर कभी जताया नही हमेशा डांटे रहते थे | पर अकेले में मेरी तारीफ अम्मी से और सभी से यहाँ तक की जब दसवी में अव्वल आए तो मुझसे बोले ठीक हैं पर अकेले में तस्वीर को ही चुमते रह गए | आज फिर वही स्थिति हैं याद तो मुझे वैसे भी हैं | पर फेसबुक और hotmail ने बताया छोटे भाई Mohammad Kaif का जन्मदिन हैं अब सबको शुभकामनाएं सबसे पहले देते हैं | पर वही बातें होती हैं प्यार भी बहुत हैं दोनों को क्यूंकि अब्बू के जाने के बाद हम दोनों एक दुसरे के लिए हमेशा बाप बने रहे | कभी वो मुझे समझाता कभी मैं उसे लेकिन इ जन्मदिन की शुभकामनाएं कैसे दि जाए आज तक समझ नही आया पिछले वर्ष तो मित्र हैं हमारे कह दिए थे \ अबकी हालत गंभीर हैं और हमे भी पता हैं बस आप लोगो भी अब मेरे लिए तो परिवार ही हैं | आप लोग दुवाएं देकर उज्ज्वल भविष्य की कामना करें |

Monday 5 October 2015

दादरी पर के जख्म


अखिलेश भैया उत्तर प्रदेश की बहनों ने आपको भाई कहा तो आप उनकी आबरू तक नही बचा पाए मुजफ्फरनगर में उलटे दंगे के आरोपी को मंत्री और एक को जेड प्लस सुरक्षा से नवाजा गया (वो भले आपने न दिया हो पर उसके लिए आप ही जिम्मेदार हो) | एक इमानदार नौजवान (जिया उल हक) ने जब इमानदारी से नौकरी करने की ठानी तो तो आपके गुंडे मंत्री ने उसे भी मरवा दिया तब भी आप पैसे और नौकरी से ज्यादा कुछ नही कर पाएं | उलटे आरोपी गुंडे को मंत्री बना दिया | दादरी में जाकर फिर वही हाल कट्टरपंथी संगठनो के आगे घुटने टेक दिए जिस तरह आपके बाप पुराने संघी मुलायम सिंह ने टेक दिए हैं | केजरीवाल, पत्रकारों और कुछ मुस्लिम समाजसेवको को दादरी जाने से रोका गया लेकिन वही मुजफ्फर नगर का आरोपी संजीव बालियान और संगीत सोम पहुच गए तब कहाँ गया आपका धारा144 अरे कुछ नही कर सकते तो कम से कम ट्रान्सफर और सस्पेंड तो कर ही सकते हैं डी०एम०, एस०डी०एम० और एस०पी० और कोतवाल को | जबकि आपने अभी हाल में ही कहा था की किसी भी तरह के दंगे होने पर डी०एम० और एस०पी० नपेंगे | अब ऐसा न करें की आने वाले 2017 में हमे भी सोचना पड़े ज्यादातर ने तो ओवैसी भाइयो की तरफ देखना भी शुरू कर दिया हैं | आज़म चचा आपसे भी बहुत कुछ लेकिन बाद में क्यूंकि आप भी बहुत गुल खिलाये हैं इस सरकार में |  
तेरी हस्ती में ऐ मुलायम हम घर से दरबदर हो गए |
तुम संवर कर सनम सैफई हो गये |
हम उजड़ कर मुजफ्फरनगर हो गये | 

Sunday 20 September 2015

अकबर ओवैसी के पन्द्रह मिनट वाले बयां को और अकबर को छोड़ दें

अकबर ओवैसी के पन्द्रह मिनट वाले बयां को और अकबर को छोड़ दें, तो असद ओवैसी में कोई दिक्कत नहीं हैं | लेकिन उनकी छवि हैदराबाद के बाहर कट्टरपंथी नेता की बनी हैं | तो फिर जब आप तोगड़िया को गाली देते हैं, तो फिर ओवैसी को क्यों नहीं जबकि तोगड़िया के बयान हमेशा द्दुसरे मजहब के लिए जहर ही रहे हैं। और असद ओवैसी ने आजतक कोई भी बात देश या दुसरे समाज के खिलाफ नही कही मैंने बहुत गूगल किया पर कुछ मिला नही अगर किसी को मिले तो जरुर दें पर हाँ सुदर्शन वाला मत देना प्लीज | लेकिन जिस तरह मोदी भक्त चुनाव से पहले गुजरात मॉडल को देखने की बात करते हैं ओवैसी भक्त भी हैदराबाद माडल दिखलाते हैं | जिस तरह वे जरा विरोध करने पर पाकिस्तान जाने की बात तो ओवैसी वाले भी माँ बहेनो को शान में गुस्ताखी करने लगते हैं |
कुछ लोग जो इल्जाम लगाते हैं सीमांचल में चुनाव लड़ने को लेकर उसमे भी 24 सीटो में 12 भाजपा की और 2 लोजपा की हैं अब उसमे अगर ये अच्छा कर ले गये तो नुक्सान भाजपा का ही हैं अगर छदम सेकुलर पार्टी और कुछ बिकाऊ मुसलमान अपनी निर्दलीय ताल न ठोके तो | ओवैसी को लेकर अजीब असमंजस है Wasim भाई और Samarभैया कुछ रौशनी डाले आज वसीम भाई ने लिखा तो माजरत के साथ टैग करके पूछ लिया क्यूंकि यहाँ सिर्फ आप की समर भैया की राय पर फैसला लेना ज्यादा आसन रहता हैं | आज दिन में Mohammed Mehdi भाई से इस विषय पर चर्चा में एक बात जो जहन में है क्या ओवैसी के पास मुस्लिम शिक्षा के रिफार्म के लिए कोई खाका हैं | या फिर ये सब भी मोदी टाइप की कांग्रेस के पास नही हैं, और सच्चर कमिटी रिपोर्ट की बात मत कीजियेगा नही तो उनकी पार्टी को ही वोट करे फिर मुसलमान आपके पास भी तो कुछ होगा |


मुहम्मद अनस गुरु 

Saturday 12 September 2015

एक खुला पत्र

एक खुला पत्र (क्यूंकि इनबॉक्स में बात करना मेरी आदत नही ) मेरी काबिल दोस्त अपूर्वाके नाम हजारो संघी मुसंघी हो जाए और मुसंघी संघी मुझे कोई अफ़सोस नही | आपका किसी भी तरह से संघी मुसंघी को समर्थन करने पर दुःख होगा हैं | क्यूंकि इस साम्प्रदायिकता भरे दौर एक Samarभैया (और भी नाम है) की तरह आप भी इंसानियत के झंडाबरदार हो |
आपका मत: “लाखों के कत्ले आम का दाग धो दिया आज जर्मनी ने, धर्म से पीड़ित 18000 लोगों को शरण दी है और 8 लाख विस्थापित मुस्लिम शरणार्थियों को शरण देगा जर्मनी।“”
जवाब : जर्मनी या किसी के भी किसी को शरण देने से पुराने मतलब यहूदियों की हत्या का पाप कैसे धुलेगा | और सीरियन मानता हूँ मुस्लिम शरणार्थि हैं पर उनको सीरियन नागरिक कहना क्या उचित नही हैं खैर इसमें कोई विरोध नही |
आपका मत : “क्या अरब देशों के लिए शर्म की बात नहीं, क्या सबक नहीं लेना चाहिए, क्या मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों को आज आत्ममन्थन नहीं करना चाहिए।“
जवाब : अरब देशो ने बहुत से ऐसे काम किये हैं जिससे सर शर्म से झुक जाता हैं | लेकिन आप ये क्यूँ भूल जाती हैं इसी सीरियन शरणार्थियों में जिनकी तादाद UNHCR रिपोर्ट के मुताबिक़ 4 मिलियन हैं |
Total population: 4,088,079 estimated (29 August 2015) 4,088,078 registered by UNHCR
(29 August 2015) (Numbers do not include foreign citizens who left Syria) Turkey2,138,999 estimated (April 2015) 1,938,999 registered (April 2015) Lebanon 1,196,560 estimated (April 2015)1,185,241 registered (April 2015) Jordan 1,400,000 estimated (August 2015) 629,245 registered (August 2015)
Saudi Arabia 500,000 estimated (September 2015)"not classified as refugees" by Bloomberg The widely held opinion that Saudi Arabia, the biggest of the Gulf nations, hasn't taken in a single refugee may well be incorrect. Nabil Othman, acting regional representative to the Gulf region at the United Nations' refugee agency, UNHCR, told Bloomberg there were 500,000 Syrians in that country. Saudi Arabia, like all of the Gulf States, is not a signatory to the UN refugee convention, so these displaced people are not officially designated as refugees.
Iraq 247,861 estimated (March 2015) 247,861 registered (March 2015) Egypt133, 862 estimated (April 2015) 133,862 registered (April 2015) Kuwait 120,000 estimated (2015) "Syrian expatriates who have overstayed in Kuwait" Germany 105,000 estimated (March 2015) Greece 88,204 (2015 only) Sweden At least 40,000 (2015) Algeria 25,000 estimated (Aug 2012) 10,000 "asylum seekers" (Jan 2013) Austria At least 18,000 (2015) Armenia 17,000 estimated (July 2015) United Kingdom 5,102 (2015) Bahrain 5,000 estimated (September 2012) Libya4,716 estimated (February 2013) Italy 4,600 estimated (Sep 2013) Australia 4,500 (2015) Bulgaria more than 4,500 (Sep 2013) As many as 10,000 expected by the end of 2013 Canada2,374 (August 2015) Brazil 2,077 (August 2015) United States 1,500 (March 2015) Romania1,300 (July 2014) Russia1,000 (Feb 2014) Gaza Strip 1,000 (Dec 2013) France 500 estimated (October 2013) Argentina 300+ families (Aug 2013) Macedonia 255 Poland150 (July 2015) Hungary 'Hundreds' (October 2015) Colombia 100 (September 2014) Uruguay 100 (October 2014)Mexico 30 (October 2014).. जिसमे से आप खुद ही अंदाजा लगा सकती हैं कितनी मुस्लिम देश हैं खैर वो मसला नही मदद कोई भी दे मकसद उस परेशानी का खत्म होना होता हैं |
आपका मत : “लेकिन शायद मुस्लिम धर्म अपनी कुरान और हदीस से बाहर ही नहीं आना चाहता, खुद को शान्ति वाला धर्म कहने वाले आज सबसे अशांत हैं और धार्मिक आधार पर कत्ले आम में सबसे आगे | “
जवाब : यहाँ पर मरने वाले भी मुस्लिम हैं और मारने वाले तो उसमे क्या कहा जाये जो मर रहे हैं शांत होकर वो मुस्लिम नही |और कुरान और हदीस में कहाँ लिखा हैं की किसी को मरना सवाब का काम हैं जंग के भी उसूल हैं हैं, उसमे औरतो बच्चो बुजुर्गो के लिए भी कानून हैं | माफ़ कीजिये आप isis और लश्करे तैबा को ही इस्लाम समझती हैं तो ये आपकी गलत फहमी हैं |
आपका मत : वैसे तो संगठित धर्म होते ही शुद्द राजनीति हैं पर खुद को मानवीय और दया धर्म दर्शाने वाला मुस्लिम धर्म तो टिका ही हकीकत में शुद्द सत्ता की राजनीति पर है, सिया और सुन्नी शुद्द सत्ता के झगड़े में ही विभाजित हुए और आजतक एक दुसरे का खून बहाते हैं। बड़े सहज मुफ़्त में लड़ने मरने वाले मूर्ख सैनिक मिलते हैं धर्म के नाम पर।
जवाब : भारत में मुस्लिम कौन सत्ते के लिए आपस में मारपीट करते हैं | जैसे यहाँ ब्राह्मण,ठाकुर दलितों को सिर्फ अपना रसूख के लिए दबाते हैं | हाँ वहां पर शिया सुन्नी का झगडा हैं जो की अंधभक्ति हैं| पर इस्म्लाम इसकी इजाजत कबसे देने लगा| कलबुर्गी,दाभोलकर और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की हत्या कर देना मुझे नही लगता इसकी हिन्दू धर्म इजाजत देता हैं, तो कलबुर्गी की हत्या को क्या धर्म से जोड़ दिया जाए और आज विश्व में जिस इस्लामिक देशो में गृह युद्ध चल रहा हैं कृपया उसके कारण भी देख लें |
आपका मत : “बेशक इस कट्टरता अंध धर्मानुशरण का अमेरिका जैसे पूँजीवादी धूर्त सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं पर अमेरिका को पूर्ण जिम्मेदार ठहरा खुद की धार्मिक मूर्खताओं को नजर अंदाज करना कबूतर की तरह आँख मूंदना ही होगा, असली जिम्मेदार खुद मुस्लिम और उनकी धर्मान्धता है जो धर्म से बाहर आकर कुछ सोचते ही नहीं जो सैंकड़ो साल पहले लिख कह दिया गया वो वर्तमान में भी अक्षरस अटल है।“
जवाब : कौनसे मुस्लिम धर्मान्धता करते हैं जरा बता दीजिये सैकड़ो साल पहले अज़ान मस्जिदों में दीवार पर खड़े होकर दि जाती थी | और आज बंद कमरों में लाउडस्पीकर लगाकर | और बहुत सी रुदिवादिता थी मुस्लिम धर्म में आज कोसो दूर हैं| कभी समय हो तो हमारे घर की शादी विवाह या और दुसरे कार्यकर्मो को देख लें | दहेज़ का सबसे पहला विरोध इस्लामियो ही ने किया आपके यहाँ तो आदमी लड़का भी अपनी हैसियत के मुताबिक देख सकता हैं उससे उपर के लिए और भी पैसो का इंतजाम करनापड़ेगा |
आपका मत : “हर धर्म ने खुद को समयानुसार बदला है ईसाईयों ने अपनी धर्मान्धता वर्षों पीछे छोड़ दी, हिन्दू धर्म अपनी छुआछूत असमानता से काफी हद तक उबर चुका है, और लगातार कट्टरवादी हिन्दू ताकतों की सक्रियता के बावजूद भी बहुसंख्यक हिन्दू उदारवादी हैं।“
जवाब : धार्मिक लिहाज से देखिये तो आज भी सभी धर्म अपनी पुरानी जंजीरों में खुद को जकड़े हुए हैं आज़ाद होना ही नही चाहते | और रही हिन्दू धर्म की छुआछुत की बात तो रहने दीजिये साम्प्रदायिकता फ़ैल जायेगी | आज भी दलितों की जिंदगी दोयम से भी निचले सस्तर पर हैं | आज भी उनको मंदिरों घुसने नही दिया जाता पुजारी बनाना तो दूर की बात | सती प्रथा आज भी दूर दराज के गाँव में हैं दो शादी अगर लिखी हैं तो पहली किसी जानवर से कराते हैं आदि आदि | माफ़ कीजियेगा सभी धर्मो में कुरीतियाँ भरी पड़ी हैं | उसमे खुद को श्रेष्ठ और दुसरे को नीचे कहना गलत हैं और मेरे सिर्फ और सिर्फ उसी का विरोध हैं |
आपका मत : “हालांकि भारतीय मुस्लिम को दुनिया भर के मुस्लिमो के परिपेक्ष में देखना गलत होगा पर धर्म केंद्रित सोच धार्मिक संकीर्णता यहां भी हावी है।“
जवाब ; यहाँ भारत में आपने कौन से मुस्लिमो को देख लिया मुझे नही पता पर मुझे नही लगता आपने कभी खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, ए पी जे अब्दुल कलाम, वीर अब्दुलहमीद को न देखा न सुना कभी |
आपका मत : “ऐसा क्या है मुस्लिम धर्म में की आज भी प्रगतिशील सोच अधर्म की श्रेणी में आती है, किसी मुस्लिम की हिम्मत नहीं की आंतरिक कुरूतियों पर एक शब्द फोड़ दे, क्यों समाज सुधारक पैदा नही हो पाते मुस्लिम धर्म में। कोई बात कुरान हदीश से बाहर स्वीकार नहीं, धार्मिक ठेकेदार, फतवे आज भी हावी हैं। शिक्षा, रोजगार, समाज का विकास मुद्दा नहीं अहम है धर्म। वो धर्म जो इंसान को सैंकड़ो साल पीछे का जीवन जीने को मजबूर करता है वर्तमान में भी।“
जवाब : माफ़ कीजियेगा आपने शायद इस्लाम को ओसामा बिन लादेन वाला समझ कभी देखा या पड़ा नही |
मुहम्मद साहब कहते हैं की अगर तुम्हे शिक्षा ग्रहण करने के लिए अगर चीन जाना पड़े तो जाओ | अब ये बताइए उस समय इस्लामी शिक्षा अरब से अच्छी कहीं नही थी तो चीन में कौन सी यूनिवर्सिटी थी जहाँ जाने का हुक्म था| तो इस्लाम हमेशा से शिक्षा का पैरोकार रहा हैं हाँ कुछ संकीर्ण इस्लामियो (सभी धर्मो में होते हैं ) ने उसका मतलब सिर्फ दीनी मदरसों से जोड़ दिया हैं | और दुनियावी शिक्षा को बदल दिया जो की अब बदल रहा हैं | कुरान की सबसे पहली आयात जी उतारी गयी”इकरा बिसम रब्बिकल लज़ी खलका” यानि अपने मालिक का नाम ले कर पढ़जिस ने तुझे पैदा किया, ओज किस मुस्लिम को आपने सैकड़ो साल पीछे का जीवन जीते देख लिया हैं टीवी,इन्टरनेट,कार सभी कुछ से तो लैश हैं |
आपका मत : आश्चर्य जब होता है जब सोशल मीडिया पर देखता हूँ लोग हिन्दू संगठनो संघ, विहिप के धार्मिक ब्यानो का मजाक उड़ाते हैं पर अपने यहाँ व्याप्त दोगुनी घोर धर्मान्धता कुरूतियों पर एक शब्द बोलने को तैयार नहीं बल्कि गाहे बगाहे उसे जायज ठहराते हैं।
जवाब ; आपने किन लोगो को देखा मुझे नही पता पर कभी ओवैसी भाइयो का सबसे ज्यादा विरोध किन लोगो ने किया ये आपने नही देखा या धार्मिक कुरीतियों को आपने नही देखा | चाहे कश्मीर में रौक बैंड वाली लडकियों के खिलाफ फतवा या कुछ उलूल जुलूल चीज आपने कभी Wasim Akram Tyagi को नही देखा क्या और भी कई नाम हैं,पर वो शायद दीखते नही |
आपका मत : आज मुस्लिम धर्म को धार्मिक ठेकेदारों की नहीं ढेर सारे समाज सुधारकों की जरूरत है जो उन्हें धार्मिक बेड़ियों से आजाद कर समाज में तर्कशील, विकास प्रिय प्रगतिशील सोच डाल सके |
जवाब ; फिर से वही सवाल आपको मुस्लिमो के समाज सुधारक नही दीखते | तो खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक हमारे Faisalbhai भी जिन्होंने अपनी पूरी जिदगी दे दि हैं सिर्फ इंसानियत कें लिए |
{नरुका अंकल से साभार चुराया हुआ , पर एक एक लाइन मे बिलकुल मेरे भाव समाहित हैं:) }
अपनी बात आपके लिए ये जो पूरी लाइन थी मुझे कहीं से भी नही लगता की आपने सही से पड़ा होगा वरना इतना बड़ी गलती आप तो नही कर सकती हाँ आपके नरुका अंकल उनकी मानसिकता क्या हैं वो तो पता चल गयी | और मुझे ये आपकी सोच अभी तक तो नही लगती | बाकी अगर कुछ ज्यादा कह दिया हो तो कृपया जाहिल समझ कर माफ़ कर दें और अगर लगे तो अन्फ्रेंद और ब्लाक भी दुःख होगा पर अफ़सोस नही | इस्लामिक रुदिवाद पर लिखिए आपका समर्थन हैं पर खुद के धर्म को श्रेष्ठ दुसरे को नीचा कहना पूर्णतया असहमत |

Wednesday 26 August 2015

आरक्षण

आरक्षण को खत्म करने की आवाज़ उठाने वाले अगड़ी जाती के पड़े लिखे युवाओ जब आपके पूर्वजो ने पानी पी पी कर अत्याचार किया था, तब कहाँ गया था आपका बराबरी का सम्मान जिनको सदियों से दबाया गया है | आज बाबा साहब की वजह से आपके साथ बराबरी से बैठे हैं और आप उनके दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं, तो शान को ठेस पहुच रही हैं | जिनको बचपन में क्लासरूम में पीछे और आपको (अगड़ी जाति के नवयुवक) आगे बिठाया जाता था जिस कारण वो पड़ाई में कमजोर रहे हैं तो क्यूँ न उनको आरक्षण दिया जाए | बाबा साहब ने ये जरूर कहा था की आरक्षण को दस साल बाद खत्म कर देना चाहिए लेकिन उस में तो उनके सामाजिक जीवन में कोई बहुत बड़ा बदलाव नही आया | हाँ ये जरुर की जिन परिवारों को आरक्षण मिलता हैं वे अपनी जाती के उद्धार के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए जो की नहीं करते | हाँ ये जरुर हैं आरक्षण पर एक बड़ी थिन्कटैंक बहस की जरुरत हैं |

Friday 31 July 2015

मैं भी कलाम तू भी कलाम

मैं भी याकूब तू भी याकूब कहने वालो, अगर मैं भी कलाम तू भी कलाम कह देते तो आज ये दिन देखना न पड़ता | आप तो जैसे ही लड़का बड़ा होता हैं मदरसे में डाल देते और फिर दुनियावी पड़ाई जो की आपके हिसाब से हराम हैं , वो करने नही देते | आज कुछ लोग जिनका तर्क हैं की बाल ठाकरे जैसे देश द्रोही को तिरंगे में लपेट कर हजारो की तादाद में लोग शामिल होते तो फिर याकूब के मय्यत से क्या दिक्कत ? दिक्कत यही की फिर तो आप में और बाल ठाकरे के भक्तो में क्या फर्क रह जायेगा | आप तो खुद भी फैसला नही ले पा रहे हो की आप हो क्या | कभी अल्पसंख्यक तो कभी मासूम तो 800 साल के हुक्मरान कभी खून में अफगानी घोड़े दौड़ने लगते हैं | जब तक आप अपने बेटी बेटो को दुनियावी पड़ाई से दूर रखोगे आपको कोई हक नही बनता इस मुल्क की न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाने का | मन की कोर्ट में फैसला मनुस्मिरती और बहुसंख्यको की भावनाओं का ख्याल रख कर दिया गया | पर आप ये क्यूँ भूल जातें हो की रात में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और उनके साथ जो कोई भी थे सभी बहुसंख्यक समाज से थे जो याकूब मेमन के लिए रात में लड़ रहे थे वो अलग बात हैं की नतीजा कुछ भी आया | तब मुसलमानों के तथाकथित मसीहा असदूदीन ओवैसी और आज़म खान या कोई और भी नही थे | अब जब फांसी हो गयी तो आप ओवैसी के साथ दहाड़े मर कर रो रहे हो | अभी भी वक़्त हैं मैं भी याकूब करके किसी आतंकवादी को हीरो मत बनाइए नहीं तो आने वाली पीड़ी थुकेगी आप सब पर | एक चैलेंज ही स्वीकार कर लीजिये हमें सिर्फ इस दौर में सिर्फ एक व्यक्ति ऐसा दे दीजिये जिसकी लोकप्रियता सभी धर्मो में हो, कलाम साहब जैसी हमें तो गर्व हैं कलाम साहब पर की जिसके बड़े भाई के पैर प्रधानमंत्री के स्पर्श किया और संघ प्रमुख मोहन भगवत को भी श्रद्धांजलि देनी पड़ी |

Monday 27 July 2015

कलाम साहब के निधन के साथ देश ने एक सामान्य व्यक्तित्व जीने वाले राष्ट्रपति को खो दिया


कलाम साहब के निधन के साथ देश ने एक सामान्य व्यक्तित्व जीने वाले राष्ट्रपति को खो दिया जिनको लोग प्यार से काका भी कहते थे। अपना राष्ट्रपति पद के दायित्व के निर्वहन के बाद भी जनता से जुड़े रहे और रोज बरोज नए से नए तरीको से लोगो से रूबरू होते थे | एक नाविक के बेटे से देश के राष्ट्रपति तक के सफ़र में उन्होंने काफी उतार चड़ाओ देखें | उनका जीवन तो हमेशा उपलब्धि से भरपूर रहा कभी मिसाइल मैंन के रूप में तो कभी महामहिम के रूप में | पर मेरे लिए तो कलाम साहब हमेशा सेकुलरिज्म के मार्गदर्शक की तरह रहे, क्यूंकि किसी मुसलमान व्यक्ति के नाम आने के बाद लोगो के जेहन में अबू सलेम, ओसामा या फिर दावूद जैसे कुख्यात लोगो का चेहरा सामने आ जाता हैं (इस पर फिर कभी कुछ गलतियां मुसलमानों की भी हैं) पर कलाम साहब को देखने के बाद लोग हमेशा उन्हें इज्जत से ही देखते थे | कलाम साहब एक करार तमाचा भी थे उन लोगो पर जो गाहे बगाहे मदरसों को आतंक का गढ़ बताने में नही चुकते (नाम फिर कभी क्यूंकि अभी उनका नाम लेकर गंदगी नही फैलानी) क्यूंकि उनकी शुरुवाती पड़ाई एक मदरसे में ही हुयी थी |

इस दुःख भरी घडी में खुदा से यही दुआ हैं की अल्लाह उनकी जन्नतुल फिरदौस अता करें आमीन |
और उनको हिम्मत जो उनकी मौत से बहुत दुखी हैं |

Friday 26 June 2015

मैं मोहम्मद अनस मुझे अपने मुल्क हिंदुस्तान से मुहब्बत हैं।


मैं मोहम्मद अनस मुझे अपने मुल्क हिंदुस्तान से मुहब्बत हैं। मुहब्बत सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं यहाँ पैदा हुआ या मेरे बाप दादा, और न ही इसलिए कि बटवारे के समय हमारे पूर्वजों का पाकिस्तान न जाने की वजह से यही रह जाना बल्कि इसलिए कि जब इस देश में बँटवारे के बाद साम्प्रदायिक दंगे होते हैं तो उसके विरोध में एक हिन्दू महात्मा गाँधी खड़े होते हैं। बाबरी मस्जिद शहीद की जाती हैं तो उसके विरोध में सबसे आगे हिन्दू ही आते हैं (बाबरी मस्जिद एकशन कमेटी में एक भी हिन्दू न होने का अफसोस और विरोध है।) गुजरात में दंगे होते हैं तो विरोध में सबसे आगे हिन्दू ही आते हैं, बचपन में मेरा भाई कैफ नहीं अर्पित होता हैं, मर मिटने का दिल करता है जब रमज़ान में सहरी के समय अमित अपने फोन मे अलार्म लगाता है। और पूरे नवरात्रों और बड़े मंगल के महीनों में मेरा नानवेज न खाना । हां मै प्रसाद खाता हू क्योंकि वह मिठाई ही होती हैं आपके अनुसार गौ मुत्र नहीं। और आप चचा। खजुर खाने से हिन्दू ही रहेंगे मुसलमान नहीं। तो कसम मुझे मेरे मुल्क की इनही सब चीजों को देखकर धार्मिक कट्टरपंथियों से लड़ने और मुल्क से मोहब्बत करने का दिल करता है।  

Monday 15 June 2015

इंदिरा की इमरजेंसी तो नही देखि लेकिन मुझे ये दौर उस इमरजेंसी से भी ज्यादा बुरा दौर लगता हैं

जब इस देश में भ्रटाचार के खिलाफ अन्ना हजारे प्रदर्शन करते हैं तो उनके धरने को कामयाब बनाने के लिए पत्रकार ही आगे आते हैं , और जब कभी निर्भय,दामिनी, गुडिया और भी बेहें बेटियों के साथ जब कोई कृत्य होता हैं उसके विरोध में सबसे पहले पत्रकार ही आगे आता हैं | बड़े से बड़े आन्दोलन और अप्बो तो कई राजनीतिक पार्टियां और आन्दोलन भी मीडिया की ही देन हैं | पर जब उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार साथी जोगेंद्र को जलाकर मार दिया जाता हैं तो देश का सभी तबका चुप बैठा हैं | बड़े बड़े चैनलों के पत्रकार (कुछ को छोड़कर) एन जी ओ टाइप समाजसेवी, भेदभाव के खिलाफ तथाकथित आन्दोलन करने वाले मसीहा, या फिर ये सब सिर्फ अवार्ड खरीदने के लिए करते हैं | खुदा खैर करें अगर ये घटना उत्तर प्रदेश में किसी वकील के साथ हुयी होती तो अब तक मंत्री जी को छोड़ दीजिये मुख्यमंत्री भी हिल जाते | पर इसमें गलती पत्रकारों की भी नही हैं छोटे वाले लिखते और विरोध करते हैं पर बड़े पत्रकार अपनी गोटियाँ फिट करने के चक्कर में किसी के खिलाफ कुछ बोल नही पाते | इंदिरा की इमरजेंसी तो नही देखि लेकिन मुझे ये दौर उस इमरजेंसी से भी ज्यादा बुरा दौर लगता हैं | कुछ तो करिए नही तो आने वाली पीड़ी इस दौर के पत्रकारों पर जरूर शर्म करेगी| ‪#‎ripjogender‬‪#‎shameonUttarpradeshgovernment‬ ‪#‎shameonrammoortiverma‬

Wednesday 15 April 2015


नई सड़क (रविश कुमार जी का ब्लॉग) कभी कभी जाना होता हैं । आज का लेख था 
क्यों नहीं है मीडिया में अंबेडकर जयंती की कवरेज़ ? सवाल था पत्रकारिता की छात्र शैनन का सही भी है। मेनस्ट्रीम मीडिया ज्यादातर उन्ही खबरों को कवर करती हैं जिसमे कोई बड़ा नेता हो बस बाकी बाबा साहब के नाम पर होने वाले छोटे बड़े कार्यकर्मो को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जाता है, क्यूंकि उसमे बड़ा चेहरा नहीं होता इसमें दर्द हैं, उन लोगो का जो की उस समाज से आते हैं जिन्हे मंदिरो में जाने से सिर्फ उनकी जाति और वर्ण की वजह से रोक दिया जाता था आज भी होता है । उनके कानो में शीशा पिघला कर और जबान काँट दिया जाता था। सिर्फ उनके किसी श्लोक को सुनने और उच्चारण मात्र से (सिर्फ आलोचना नहीं अब तो ये मुसलमानो में भी शिया,सुन्नी,देवबंदी,बरेलवी और काद्यानि के नाम पर होता हैं।भारत में तो सिर्फ एक दूसरे की मस्जिदो में जाने की इजाजत नहीं गर गया तो मस्जिद धुलवा दी जाती है। दूसरे देशो में तो जान ले लेते हैं) खैर अच्छा लगा देख कर की दलित अब अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। मुस्लिमो में भी बहुत जरुरत हैं बाबा साहब की सबसे पहले औरतो का मस्जिद में प्रवेश करा दें (सऊदी में होता और भी अरब देशो में हैं ) ताकि वो भी अल्लाह के घर में अपनी फ़रियाद कर सकें, औरत को निकाह पढ़ाने का और इमामत( नमाज पढ़ाने को इमामत कहते हैं) करने का हक़ और भी कई बातें वो फिर कभी।

Sunday 12 April 2015

The BACK Benchers

Ratan Tata Tweet...
Germany is a highly industrialized country. In such a country, many will think its people lead a luxurious life.
When we arrived at Hamburg , my colleagues walked into the restaurant, we noticed that a lot of tables were empty. There was a table where a young couple was having their meal. There were only two dishes and two cans of beer on the table. I wondered if such simple meal could be romantic, and whether the girl will leave this stingy guy.
There were a few old ladies on another table. When a dish is served, the waiter would distribute the food for them, and they would finish every bit of the food on their plates.
As we were hungry, our local colleague ordered more food for us.When we left, there was still about one third of un-consumed food on the table.
When we were leaving the restaurant, the old ladies spoke to us in English, we understood that they were unhappy about us wasting so much food.
"We paid for our food, it is none of your business how much food we left behind," my colleague told the old ladies. The old ladies were furious. One of them immediately took her hand phone out and made a call to someone. After a while, a man in uniform from Social Security organisation arrived. Upon knowing what the dispute was, he issued us a 50 Euro fine. We all kept quiet.
The officer told us in a stern voice, "ORDER WHAT YOU CAN CONSUME, MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY. THERE ARE MANY OTHERS IN THE WORLD WHO ARE FACING SHORTAGE OF RESOURCES. YOU HAVE NO REASON TO WASTE RESOURCES."
The mindset of people of this rich country put all of us to shame. WE REALLY NEED TO REFLECT ON THIS. We are from country which is not very rich in resources. To save face, we order large quantity and also waste food when we give others a treat.
(Courtesy: A friend who is now changed a lot)
THE LESSON IS:- THINK SERIOUSLY ABOUT CHANGING OUR BAD HABITS. Expecting acknowledgment, that u read the message and forward to your contacts.
VERY TRUE -"MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY."

Courtesy : The Back Benchers

Tuesday 7 April 2015

सऊदी अरब ने पाकिस्तान से यमन में हौथी

सऊदी अरब ने पाकिस्तान से यमन में हौथी (शिया ही समझिये) लोगों से लड़ने के लिये सुन्नी सैनिकों की मांग की है। अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि संघी सिर्फ भारतीय मानसिकता नहीं हैं इनके भाई मुसंघी और भी देशों में हैं ज्यादातर अरब देशों में। तो सऊदी महाराज अगर इसी तरह बाटोंगे मुसलमानों के तो यह तय है कि आपकी बरबादी का समय आ गया है।और हां काबा शरीफ को बीच में मत लाना (अब तक बीच में लाकर मुसलमानों को इमोशनल बेवकूफ बनाते हो) क्योंकि वह खुदा का घर हैं और वह अपने घर की रक्षा खुद ही कर सकता हैं। अल्लाह के नबी ने यह कहा था कि उम्मत 72फिर्को में बट जायेगी, यह नहीं कहा था कि बांट लेना। हमेशा शिया सुन्नी देवबंदी बरेलवी वहाबी कादयानी के नाम पर लड़ाते हो।

Thursday 19 March 2015

बहराईच

दिल्ली में जब कोई मुझसे पूछता हैं कि कहाँ से हो तो गर्व से कहता हूँ, बहराईच से फिर उनको बताना पड़ता हैं कि लखनऊ से 120 कि०मी० की दूर है। या फिर सय्यद सालार मसूद गाजी रहमत उल्लाह अलैह जिनका सालाना इतना बड़ा मेला लगता हैं।क्योंकि और तो कुछ मशहूर हैं नहीं एक नेता थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर बहराईच का नाम रौशन किया, आरिफ मोहम्मद खान जो कि तथाकथित मुस्लिमों के रहनुमाओं की वजह से हाशिए पर धकेल दिये गये। न तो रेलवे बड़ी लाईन है और न ही ढंग की रोड कनेक्टिविटी । जब नीतीश कुमार रेलमंत्री थे तब से सुन रहा हूँ बड़ी लाइन के बारे में पर आज तक कुछ नहीं हुआ। आसमानी प्रत्याशी थे सोनिया गाँधी के करीबी यह बहराईच का विकास करेंगे लेकिन यह साहब तो अपनी ससुराल ही रहे पांच साल हा कभी कभार किसी के वहाँ चाय पर नजर आ जाते थे। अबकी बार महिला सांसद हुई पर सासंदी तो एक पूर्व विधायक जी के पास है। जिनको विकास तो करना नहीं हैं दो पैसे की साध्वियों को बुला कर महात्मा गाँधी के खिलाफ ऊलजलूल टिप्पणियां करवा लो, चाहे संघियो के वंशज अंग्रेजों के मुखिबर ही रहे हो। हां तो आधी सांसद महोदय आप से विकास तो होगा नहीं तो कृपया करके नकली साध्वियो को बुलाकर हमारे जनपद को बदनाम न करें तो मेहरबानी होगी

Tuesday 3 March 2015

अरविन्द केजरीवाल जी से छोटा मुंह और बड़ी बात

Right to left Arvind Kejriwal,Manish Sisodiya,Prashant bhushan,Yogendra Yadav
अरविन्द केजरीवाल जी से छोटा मुंह और बड़ी बात क्योंकि मु़झे लगता है कि आम आदमी पार्टी अब पूंजीवादी तथा कुछ साम्प्रदायिक शक्तियो की साजिश का शिकार हो रही है। क्युकि हाल कि दिनो में जो चल रहा है उससे यही बात सामने आ रही है। पहले शाजिया ईल्मी ( जो कि पार्टी के संस्थापक सदस्यो में से रही है) को पार्टी से साजिशन निकलने को मजबूर कर दिया गया हो। उसके बाद इस चुनावी नतीजो के बाद सबसे पहले अरविन्द केजरीवाल के सबसे करीबी मनीष सिसोदिया जिनको दिल्ली सरकार के सारे विभाग (पार्टी की कार्यकारिणी द्धारा लिया गया निर्णय) देकर उलझा दिया गया(जो खुद ही इतना कामो में उलझे रहेंगे तो केजरीवाल की क्या मदद कर पाएंगे ) जिससे वह खुद बखुद केजरीवाल से दूर हो गये उसके बाद नंबर आता है। प्रशान्त भूषण (जो कि गरीबो के वकील कहे जाते है मानवाधिकार मामलो के ज्यादातर मुकदमें खुद ही लड़ते है) को और योगेन्द्र यादव जिनके बारे में मुझे नही लगता कुछ भी बताने की जरुरत है।बस इतना जान लीजिए देश के जाने माने चुनावी विश्लेषक है। उनको हटाने के लिए पार्टी के अंदरखाने से विरोध के स्वर बाहर आ रहे है, उसमें सबसे आगे आईबीएन7 के पूर्व पत्रकार आशुतोष जिनको जब नौकरी जाने का खतरा लगा तो तुरंत नौकरी छोड़ कर पार्टी ज्वाइन कर लिया पर उनकी विश्वसनीयता पर अभी भी संशय बरकरार है। क्या पता वे पार्टी में पुंजीवादियो के समर्थन में एक मुहीम चला रहे हो और संजय सिंह जिनको आंदोलन और पार्टी बनने से पहले तक कोई नही जानता था। वे भी आशुतोष के साथ कंधे से कधा मिलाकर उनकी इस मुहीम में मदद कर रहें है। अब बचे अरविन्द केजरीवाल वह तो अपने आप आशुतोष, संजय सिंह, और कुमार विश्वास जैसे नेताओ से घिर कर रह जायेगें,फिर मुझे नही लगता अरविन्द केजरीवाल अपने विवके से कोई फैसला कर पायेंगें अगर करेंगें भी तो उसमें कहीं न कही संघ परिवार और पूंजीवादी ताकतो को ही मदद मिलेगी।

Tuesday 24 February 2015

मोहन भागवत जी के नाम खुला पत्र

up mother teressa worshipping with patient down Mohan Bhagwat is self created god

मैं मुहम्मद अनस पहले इंसान फिर भारतीय मुसलमान आपसे चंद सवाल पूछना चाहता हूँ । की देश की आज़ादी में आपका और संघ का की कितना योगदान था भी या नहीं निस्पक्ष बोलिए। दूसरा गांधी जी की हत्या में शामिल लोग किस संगठन से रिश्ता रखते थे। इंदिरा,राजीव गांधी की हत्या में जो लोग शामिल है थे उनका या उनके संघठन से ताल्लुक रखने वाले लोगो से जाने अनजाने में किसका रिश्ता हैं। और अब बात मदर टेरेसा की और मदर टेरेसा के कदमो पर चलने वाली क्रिस्चियन मिशनरी पर इस बात का जवाब सिर्फ आप नहीं और भी धर्मो के लोगो से। कभी मिशनरी जाकर सेवाभाव देखिये वहां पर दलित,शूद्र,छोटा बड़ा,अमीर गरीब के नाम पर भेदभाव नहीं होता हैं। जब आप लोग देश में दलित मुस्लिमो को भेद भाव करके भगा रहे थे तब मदर टेरेसा जैसी विदेशी महिला ने सबको अपनाया और सिर्फ अपनाया नहीं गले से भी लगाया था।अगर वो धर्म परिवर्तन भी कराती रही हो तो मुझे उम्मीद हैं की जबरदस्ती नहीं प्रेम से लोग उनके और उनके धर्म की तरफ खींचे चले गए होंगे। एक उदाहरण देना चाहूँगा एक बार दिल्ली के हौली फैमिली हॉस्पिटल में चचा के बेटे जो उस समय 7 या 8 महीने का रह होगा को लेकर रात भर था । तो उसको समय समय उसको बारी बारी डायपर बदलने करने की जरुरत पड़ती थी। तो मुझे याद हैं मैंने पूरी रात में वहां की नर्सो को कम से कम २५ से ३० बार बुलाया पर कभी भी उनके माथे पर जरा सा भी सिकन नहीं थी । हर बार मुस्कराहट के साथ सारा काम कर रही थी ।कहने का मतलब ये हैं की आप किसी को करोडो रुपये भी दो भी तो क्या कोई बार बार आकर इस तरह से सेवा करेगा, यकीं न हो तो किसी सरकारी या प्राइवेट जिसमे मिशनरी का कोई ताल्लुक़ हो जाकर देख लीजिये सब पता चल जायेगा ।

मदर टेरेसा की सेवा के पीछे का उद्देश्य धर्मांतरण था: भागवत

मदर टेरेसा पवित्र आत्मा थीं, कृपया उन्हें बख्श दीजिएः केजरीवाल