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Sunday 15 November 2015

#पेरिस

कल पेरिस अटैक में कुछ बोलने या कहने की हिम्मत नही थी तो बस एक चुप्पी अख्तियार कर ली थी । लेकिन वो भी कुछ सांप्रदायिक लोगो को बर्दाश्त नही क्यूंकि कल उनके लिए मुसलमानो को घेरने का मौका था तो इंसानियत की मौत उनके लिए जश्न था । ‪#‎पेरिस‬ में जो भी हुआ उससे मुसलमान खुद को अलग नही कर सकता वो अलग बात हैं की भारतीय मुसलमानो का उससे क्या ताल्लुक़ लेकिन यहूदी अमेरिकी हाथ कहके नकारा भी नही जा सकता क्यूंकि करने वाले जो लोग थे वो मुसलमान ही हैं वो अलग बात हैं की उनका इस्लाम से कोई लेना देना नही हैं । हाँ तो साम्प्रदायिक लोग आप ने न कभी सांप्रदायिक सक्तियों का विरोध न किया हैं और ना ही करने की हिम्मत हैं । तो आपसे ये हो भी नही पायेगा। हमारे लिए बगदादी कल भी दुश्मन था और आज भी दुश्मन ही हैं,और इंशा अल्लाह हमेशा रहेगा क्यूंकि खलीफा कभी चोर और बलात्कारी नही होते । बाकी सेकुलरिज्म का नकाब उतर गया हैं जो सेक्युलर और इंसानियत की बात करते थे आप बस कम्बल और फल बाँट कर फोटो लगाओ वो आपका बढ़िया पी आर हैं । और ये धमकी देना बंद कीजिये की इंटेलिजेंस की लिस्ट बन गयी हैं या आपने सुपारी दे दी हैं । बस ये पता चल गया की मुसलमानों की सुपारी भी अब दी जाती हैं ।

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