About Me

Saturday 23 April 2016

किताबी चेहरा यानि की फेसबुक पर घमासान युद्ध चल रहा हैं।

इधर कुछ दिनों से किताबी चेहरा यानि की फेसबुक पर घमासान युद्ध चल रहा हैं। और हो भी क्यों न संघी और मुसंघियो की लड़ाई में सेकुलरिज्म को ही नुक्सान होता हैं सो हैं। पहली बात इधर एक चचा हैं नाम इसलिए नहीं लेंगे की आप लोग मुझसे ज्यादा समझदार हैं समझ जायेंगे और दूसरी ये की उम्र में ज्यादा है तो बदतमीजी हो जाएगी । हाँ तो बात ये हैं की चचा को बदलाव का बड़ा शौक हैं और इसी बदलाव के चककर में क़ुरान की जगह मनुस्मिर्ति ले आये और जो उसको पड़ कर मनुस्मिर्ति और मनुवाद पर सवाल उठाते हैं। चचा बात ये हैं की सवाल कोई उठाने पर आ जाये तो क़ुरान और इस्लाम पर भी उठा सकता हैं। और आपके अंदर अगर इतना ही कौम मिल्लत का दर्द हैं तो कौम के ठेकदारों पर सवाल उठाइए। अभी हम मुसलमानो के हालत इतने अच्छे नहीं हुए हैं की हम दूसरे मजहबो पर सवाल उठाये। और बात मजहब की तो किसी हम मजहब महिला ने बुर्क़े पर सवाल उठाया तो आपने उसको गन्दी गालियों से नवाजा शायद आप मुहम्म्द साहब की जिंदगी को भूल गए और वो आपका निजी मामला हैं । अंत में एक बात Samar भैया माफ़ी के साथ आपको मेंशन इसलिए कर देते हैं क्यूंकि आप तर्को से सम्झदेंगे गालियां या उन जैसी कोई बात तो नहीं ही कहेंगे। समर भैया हम मर्द कौन होते हैं औरतो कोक्या पहनना हैं और क्या नहीं पहनने और राय और मशवरा देने वाले औरत किसी भी मजहब की हो हम मर्दो की उनके ऊपर कोई ठेकेदारी नहीं चलेगी पूर्णतया स्वतंत्र हैं कुछ भी करने को और हाँ ये वाला भी नहीं चलेगी की बाहर कह दिया और घर में समझा दिया।

Thursday 14 April 2016

बाबासाहब



बाबासाहब हमेशा से मैं आपसे किसी न कखुद की शिकायत करता हूँ कभी संघियो की तो मुसंघियो की। आज के हालात आप देखते तो शायद रो पड़ते लेकिन कोई नही आपके द्वारा दी गयी संविधान की ताकत हमे मजबूती देती हैं। और हम लड़ेंगे और तब तक लड़ते रहेंगे जब तक अपनी साँसों से न हार जाए।आज जन्मदिन हैं तो चुनाव नजदीक होने की वजह से बड़े बड़े लोग आपका जन्मदिन मना रहे हाँ वो भी धूमधाम से। उसमे शायद मेरा नमन कम ही होगा। कोई नही अबकी बड़े लोगो वाला जन्मदिन मनाइए बाकी हम तो हमेशा से मनाएंगे। एक बात आज फिर जिस पर लोगो को ऐतराज रहता हैं गर मेरा मजहब खुदा के बाद किसी को सजदे इजाजत देता तो मैं वो सजदा बाबा साहब आपको करता क्यूंकि सही मायनों में आप आदर्श हैं अब वो क्यूं उस फिर कभी।