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Friday 14 November 2014

जे एन यु की लाइब्रेरी में हुयी छात्रा से छेड़छाड़ का विरोध करना तो सही हैं ।

जे एन यु की लाइब्रेरी में हुयी छात्रा से छेड़छाड़ का विरोध करना तो सही हैं ।  दिल से मजम्मत होना चाहिए उम्मीद हैं सभी लोग भी करेंगे, इस  घटना की आड़ लेकर जे एन यु और कामरेडों को गरियाना कहाँ तक सही है । ये तो वही बात होगी की ब्लास्ट ओसामा ने किया और भुगतना सारे मुसलमानो को पड़ा  किसी एक की गलती का दोष पूरे समाज को देना कहाँ का इन्साफ है। आपका फेमिनिज्म जे एन यु और ए एम यु के मामलो पर ही क्यों जागता हैं । जागिये, लड़िये संघर्ष करिये महिलाओ के अधिकार के लिए क्यूंकि आज भी हमारा समाज पृतसत्ता विचारधारा का गुलाम है ।  किसी समाज और विचारधारा  को गाली देने से  बात बढ़ती ही हैं भड़कती ही है हल नहीं निकलता है । 

Friday 31 October 2014

बुखारी साहब आप भूल रहे हैं

बुखारी साहब आप भूल रहे हैं की आपकी गुंडागर्दी से मुसलमान भी कोई खुश नहीं है, तो इसका मतलब क्या आपके पीछे नमाज़ पड़ना छोड़ दें, और देश का प्रधान मंत्री जो की एक सवैधानिक पद  हैं उनको न बुलाकर आपने एक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुलाकर जो( सिर्फ भारत को गरियाकर ही चुनाव जीतते हैं) को बुलाकर देश के सवैंधानिक पद का मज़ाक उड़ाया हैं  । किस आधार पर बुलाया हैं आप शायद भूल गए की मौलाना आज़ाद भारत पाकिस्तान विभाजन के समय जामा मस्जिद (जो आपके बाप की जागीर हो गयी हैं) से मुसलमानो से रुक जाने का आवाहन किया था । आप ने अपने बेटे शाबान बुखारी को क्या काबिलियत देख कर शाही इमाम की ताजपोशी कर रहे हैं , ऐसा न करिये नहीं तो आने वाली नस्लें शाही इमाम जैसे गरिमामय पद की कोई इज्जत ही न करें ।  

Wednesday 23 July 2014

इस्लाम की रौशनी में शाह बनो केस?

शाहबानो के मामले को बचपन से सुनता आ रहा हूँ पर कभी पड़ा नही क्यूंकि बोलते हैं की उसमे इस्लाम के खिलाफ फैसला दिया गया था । आज Samar Anarya भैया के ब्लॉग हम तुम्हारे गुनहगार है शाहबानो. और आपके भी आरिफ़ भाई 
में पड़ा तो पता चला की असल बात क्या थी, अब कुछ बातें इस्लाम के तथाकथित ठेकेदारों से क्यूंकि हम तो जवाब मांगेंगे चाहे मरवा ही क्यों न दो शाह बानो एक ६२ वर्षीय मुसलमान महिला और पाँच बच्चों की माँ थीं जिन्हें १९७८ में उनके पति ने तालाक दे दिया था। अब ये बताओ कौन सा इस्लाम किसी बूढ़ी औरत को उसके गुजारे भत्ते से वंचित रखता हैं | जब क़ाज़ी निकाह पढ़ाते हैं तो उसमे दवा बीमारी सारे हर्जे खर्चे के लिए तो क़बूल करवाता हैं तो फिर शाहबानो के शौहर मुहम्मद अहमद खान से क्या क़बूल करवाया था की तलाक देकर बुढ़ापे में घर से बाहर करदेना और हर्जा खर्च भी मत देना ये नया कहाँ से ले आये, अगर आपके इस्लाम मैं ऐसा है तो मैं नही मानता ऐसे इस्लाम को ऐसा इस्लाम आपको ही मुबारक क्यूंकि इसका सीधा मतलब है की आपने कभी हज़रत उमर को तो पड़ा ही नही जिन्होंने एक बूढ़ी औरत को रात के अँधेरे में उसके और उसके बच्चो के गुजर बसर के लिए चीजे खुद अपनी पीठ पर लाद कर लाते थे। मत बदनाम करो इस्लाम को वरना फिर आने वाली नस्लें थूकेंगी आपको फिर तो नमाज़ भी हमी लोग पढ़ाएंगे मस्जिदो में । आरिफ खान (हमारे बहराइच से ही संसद चुनके गए थे जो की बाद में उर्जामंत्री भी बने थे) से तो बचपन से चिढ़ता था की वो मुसलमानो के दुश्मन हैं और भाजपा में जाने के बाद तो ये बात पुख्ता भी हो गयी थी उनको तो आपने किनारे लगा दिया वरना बदलाओ लाने वाले इंसान थे । आप लोगो ने तो गर्त में धकेल दिया मौलाना और जिन लोगो ने (एम जे अकबर ) उस समय विरोध किया था आज सत्तापक्ष में बैठ कर मलाई काट रहे हैं । राजीव गांधी जिनको हम भारत में कंप्यूटर क्रंति के जनक कहते हैं और युवा के आइडल के रूप मानते थे। वो तो युवाओ के आइडल हो ही नही सकते क्यूंकि जो नेता कट्टरपंथियों के आगे झुक जाये वो युवाओं का क्या मार्गदर्शन करेगा ।

मुहम्मद अनस 

Tuesday 22 July 2014

मुसलमान और किक

आजकल के मुश्किल भरे दौर में जिस तरह फिलस्तीन से लेकर अमरीका तक उम्मते मुस्लिमां पर तरह तरह के जुल्म ढायें जा रहे है । जिसको देख्ते हुए आने वाला जुमा को (जो कि माहे मुबारक रमजान का आखरी जुमा है जिसको अलविदा कहते है) इस मुबारक मौके पर हर साल की तरह इस साल भी हमारे कौम के मसीहा सलमान खान उर्फ ‘‘भाई‘‘ की एक फिल्म ‘‘किक‘‘ रिलीज हो रही है। 

आपसे बस यही गुजारिश है कि रमजान के महीने को किनारे करते हुए फस्र्ट डे फस्र्ट शो देखकर सवाबे दारैन हासिल करें और भाई हाथो को और मजबूत करें । भाई के बारे में तो किसी से छिपा नही है, भाई का तो कहना ही है कि देश में कोई भी नागरिक रोड पर नही सोएगा और अगर सोने की जुर्रत करेगा तो भाई गाड़ी से इस देश के गरीबो और गरीबी दोनो को कुचल देंगें। भाई की सामाजिक संस्था एैसी है कि उसमें तो गरीबों के लिये तों कोई चीज है ही नही सभी चीजे पांच सौ रुपये से उपर। बस अर्ज यह कर रहा था कि आप सभी मुसलमान भाईयों से गुजारिश है कि अगर इस जुमें को आप इस फिल्म को छोड़ देते है तो फिर ईद की नमाज के बाद ईदगाह से ही रिक्शा लेकर सिनेमा हाल जाकर 100 या 200 नहीं पूरे पांच सौ करोड की कमाई कराये ताकि लोग मुसलमानो की ताकत का अन्दाजा लगाकर किसी भी तरह की गुस्ताखी करने की हिम्मत न करे और मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके इस एहतेजाज को देखकर अमरीका और इसराईल फिलस्तीन से पैरो के बल गिरकर माफी मांगेगा।

मुहम्मद अनस 

Wednesday 16 July 2014

कौम के ढोंगी रहनुमा

तस्वीर उधार लेनी पड़ती है

इन्ही सब बातों पर जब कौम के ढोंगी रहनुमाओ को गरियाता हूँ तो कहते हैं लड़का बिगड़ गया है, जब चुप तो जमीर धकियाते है आखिर करें तो करें क्या। जब मुज़फ्फर नगर में दंगा होता है तो कौम के ढोंगी रहनुमा बिल में घुस जाते हैं, फिर चुनाव के समय हजरत बुखारी साहब अपील करते है मुसलमानो के नाम की फलाने को जिताना, अब इराक में बगदादी साहब खुद को खुद ही खलीफा घोषित कर दिए चाहे पता भी न हो कि खलीफा का काम क्या होता है। बस चोरो की तरह वीडियो जारी करके और कुछ मासूमो को मार के दादा बने है। और आज जब गाज़ा में (88 फलीस्तीनी मारे गए और 339 जख्मी हैं जिसमे ज्यादातर तादाद बच्चो की हैं ) तो फिर ये कौम के ढोंगी रहनुमा कौन से बिल में घुसे हैं पता नही ।
अरे इस्लाम के नाम पर मत बोलो कम से कम इंसानियत के नाम पर तो बोलो लेकिन नहीं उसमे तो नानी मरती हैं तुम्हारी बस पैसा और रसूख लेने के लिए बरसाती मेढक की तरह आ जाते हों । गलत नही कहा गया है की जहन्नम में सब पहले उलमा ही जायेंगे ।

तस्वीर भी इतनी दहसतनाक आती है गूगल पर की उधार लेनी पड़ती है

Saturday 24 May 2014

अटल जी का एक भाषण


19/08/2003 में अटल जी का एक भाषण था जिसमे वो प्रधान मंत्री की हैसियत से नेता विपक्ष को जवाब देते है की राजनीतिक क्षेत्र में जो आपके साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलते हो विचारो के मतभेद होंगे | लड़िये पर सभ्य तरीके से लड़िये और इस देश की मर्यादाओ का ध्यान रखिये । इसको देखकर तो यही लगता हैं की आजकल के दौर में राजनीतिक स्तर कितना गिर चूका लोग जरा जरा सी बात में गाली पर उतर आते हैं चाहे वो नेता हो या फिर उनके चेले चपाड़ी । लोकतान्त्रिक देश में रहते हैं तो लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से लड़िये हिंसा किसी भी रूप में सही नही ठहराई जा सकती हैं । 

उन अंधभक्तो को समर्पित जो बिना सर पैर के लड़ने आ जाते |

पत्रकारिता के व्यापर में

Print shot taken by me

बड़ा दुःख होता है जब आजकल के पत्रकारिता के व्यापर में व्यापार ही है यहाँ कोई सेवा करने नही आता, आज का ताजा उदहारण जिससे और भी दुःख होता है की जाने अनजाने में बगैर कोई आधार के हम लोगो को आतंकवादी ठहरा देते हैं, सुबह इंडिया टुडे के सूत्र के अनुसार हमने अपनी न्यूज़ पोर्टल (खबर अभी ट्रैश कर दिया) पर एक खबर चलायी थी की एन आई ए ने झारखण्ड के बारिआतु के एक लॉज से दो लड़को को गिरफ्तार किया है जिनका सम्बन्ध इंडियन मुजाहिदीन से है और उनके पास कुछ विष्फोटक सामान भी मिला है, उस खबर पर झारखण्ड के हमारे साथी कौशलेन्द्र जी ने तथ्यों समेत कड़ी आपत्ति जताई और बताया की एन आई ए ने २१ की रात में रांची के एक लॉज में छापा मरकर दो लड़को को गिरफ्तार तो किया था, पर उनका सम्बन्ध तो किसी आतंकवादी संगठन से नही बताया था और उनकी जांच में भी ऐसा नही हैं, और बरामद सामन में भी सिर्फ पेन ड्राइव के सिवा और कुछ नही मिला। खबरों में विस्फोटक सामान कहा से कह दिया । और बरिआतू में तो कोई जांच करने गया नही, हाँ चार साल पहले वहां से एक लड़के को गिरफ्तार किया गया था, अब समझ में ये नही आ रहा है की पुलिस और जांच एजेंसियों से ज्यादा तो मीडिया लोगो को आतंकवादी बना देती हैं और मनगढ़ंत खबर प्लांट करके किसी एक धर्म और उसके लोगो को बदनाम करने और डराने का काम कर रही हैं| और वो भी देश के सबसे बड़े नई चैनल

NIA recovers explosives, documents related to IM from Ranchi lodge
Read more at: http://indiatoday.intoday.in/breakingnews.html

Wednesday 21 May 2014

युवा भारत और संचार क्रांति के अग्रदूत राजीव गांधी जी को उनकी 23वीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन,

युवा भारत और संचार क्रांति के अग्रदूत राजीव गांधी जी को उनकी 23वीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन,

Thursday 13 March 2014

बिस्मिल-अशफ़ाक कि दोस्ती



चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे. अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे. उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए. इस उद्देश्य के साथ वह क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए. आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे. वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे. धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था. यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए. धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई.

अशफ़ाक़ उल्लाह खां कि शायरी

जाऊंगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा, जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा? बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं “फिर आऊंगा, फिर आऊंगा,फिर आकर के ऐ भारत मां तुझको आज़ाद कराऊंगा”. जी करता है मैं भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ, मैं मुसलमान हूं पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूं; हां खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूंगा, और जन्नत के बदले उससे यक पुनर्जन्म ही माँगूंगा