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Friday 9 October 2015

सामाजिक बेड़िया और जन्मदिन

 Mohammed Kaif



ना जाने कैसे सामाजिक बेड़िया हैं ये की इंसान जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता हैं उसके सामने जता नही सकता अकेले में ही सिर्फ | मेरे पिता मुझसे बहुत प्यार करते थे पर कभी जताया नही हमेशा डांटे रहते थे | पर अकेले में मेरी तारीफ अम्मी से और सभी से यहाँ तक की जब दसवी में अव्वल आए तो मुझसे बोले ठीक हैं पर अकेले में तस्वीर को ही चुमते रह गए | आज फिर वही स्थिति हैं याद तो मुझे वैसे भी हैं | पर फेसबुक और hotmail ने बताया छोटे भाई Mohammad Kaif का जन्मदिन हैं अब सबको शुभकामनाएं सबसे पहले देते हैं | पर वही बातें होती हैं प्यार भी बहुत हैं दोनों को क्यूंकि अब्बू के जाने के बाद हम दोनों एक दुसरे के लिए हमेशा बाप बने रहे | कभी वो मुझे समझाता कभी मैं उसे लेकिन इ जन्मदिन की शुभकामनाएं कैसे दि जाए आज तक समझ नही आया पिछले वर्ष तो मित्र हैं हमारे कह दिए थे \ अबकी हालत गंभीर हैं और हमे भी पता हैं बस आप लोगो भी अब मेरे लिए तो परिवार ही हैं | आप लोग दुवाएं देकर उज्ज्वल भविष्य की कामना करें |

Monday 5 October 2015

दादरी पर के जख्म


अखिलेश भैया उत्तर प्रदेश की बहनों ने आपको भाई कहा तो आप उनकी आबरू तक नही बचा पाए मुजफ्फरनगर में उलटे दंगे के आरोपी को मंत्री और एक को जेड प्लस सुरक्षा से नवाजा गया (वो भले आपने न दिया हो पर उसके लिए आप ही जिम्मेदार हो) | एक इमानदार नौजवान (जिया उल हक) ने जब इमानदारी से नौकरी करने की ठानी तो तो आपके गुंडे मंत्री ने उसे भी मरवा दिया तब भी आप पैसे और नौकरी से ज्यादा कुछ नही कर पाएं | उलटे आरोपी गुंडे को मंत्री बना दिया | दादरी में जाकर फिर वही हाल कट्टरपंथी संगठनो के आगे घुटने टेक दिए जिस तरह आपके बाप पुराने संघी मुलायम सिंह ने टेक दिए हैं | केजरीवाल, पत्रकारों और कुछ मुस्लिम समाजसेवको को दादरी जाने से रोका गया लेकिन वही मुजफ्फर नगर का आरोपी संजीव बालियान और संगीत सोम पहुच गए तब कहाँ गया आपका धारा144 अरे कुछ नही कर सकते तो कम से कम ट्रान्सफर और सस्पेंड तो कर ही सकते हैं डी०एम०, एस०डी०एम० और एस०पी० और कोतवाल को | जबकि आपने अभी हाल में ही कहा था की किसी भी तरह के दंगे होने पर डी०एम० और एस०पी० नपेंगे | अब ऐसा न करें की आने वाले 2017 में हमे भी सोचना पड़े ज्यादातर ने तो ओवैसी भाइयो की तरफ देखना भी शुरू कर दिया हैं | आज़म चचा आपसे भी बहुत कुछ लेकिन बाद में क्यूंकि आप भी बहुत गुल खिलाये हैं इस सरकार में |  
तेरी हस्ती में ऐ मुलायम हम घर से दरबदर हो गए |
तुम संवर कर सनम सैफई हो गये |
हम उजड़ कर मुजफ्फरनगर हो गये |