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Wednesday 23 July 2014

इस्लाम की रौशनी में शाह बनो केस?

शाहबानो के मामले को बचपन से सुनता आ रहा हूँ पर कभी पड़ा नही क्यूंकि बोलते हैं की उसमे इस्लाम के खिलाफ फैसला दिया गया था । आज Samar Anarya भैया के ब्लॉग हम तुम्हारे गुनहगार है शाहबानो. और आपके भी आरिफ़ भाई 
में पड़ा तो पता चला की असल बात क्या थी, अब कुछ बातें इस्लाम के तथाकथित ठेकेदारों से क्यूंकि हम तो जवाब मांगेंगे चाहे मरवा ही क्यों न दो शाह बानो एक ६२ वर्षीय मुसलमान महिला और पाँच बच्चों की माँ थीं जिन्हें १९७८ में उनके पति ने तालाक दे दिया था। अब ये बताओ कौन सा इस्लाम किसी बूढ़ी औरत को उसके गुजारे भत्ते से वंचित रखता हैं | जब क़ाज़ी निकाह पढ़ाते हैं तो उसमे दवा बीमारी सारे हर्जे खर्चे के लिए तो क़बूल करवाता हैं तो फिर शाहबानो के शौहर मुहम्मद अहमद खान से क्या क़बूल करवाया था की तलाक देकर बुढ़ापे में घर से बाहर करदेना और हर्जा खर्च भी मत देना ये नया कहाँ से ले आये, अगर आपके इस्लाम मैं ऐसा है तो मैं नही मानता ऐसे इस्लाम को ऐसा इस्लाम आपको ही मुबारक क्यूंकि इसका सीधा मतलब है की आपने कभी हज़रत उमर को तो पड़ा ही नही जिन्होंने एक बूढ़ी औरत को रात के अँधेरे में उसके और उसके बच्चो के गुजर बसर के लिए चीजे खुद अपनी पीठ पर लाद कर लाते थे। मत बदनाम करो इस्लाम को वरना फिर आने वाली नस्लें थूकेंगी आपको फिर तो नमाज़ भी हमी लोग पढ़ाएंगे मस्जिदो में । आरिफ खान (हमारे बहराइच से ही संसद चुनके गए थे जो की बाद में उर्जामंत्री भी बने थे) से तो बचपन से चिढ़ता था की वो मुसलमानो के दुश्मन हैं और भाजपा में जाने के बाद तो ये बात पुख्ता भी हो गयी थी उनको तो आपने किनारे लगा दिया वरना बदलाओ लाने वाले इंसान थे । आप लोगो ने तो गर्त में धकेल दिया मौलाना और जिन लोगो ने (एम जे अकबर ) उस समय विरोध किया था आज सत्तापक्ष में बैठ कर मलाई काट रहे हैं । राजीव गांधी जिनको हम भारत में कंप्यूटर क्रंति के जनक कहते हैं और युवा के आइडल के रूप मानते थे। वो तो युवाओ के आइडल हो ही नही सकते क्यूंकि जो नेता कट्टरपंथियों के आगे झुक जाये वो युवाओं का क्या मार्गदर्शन करेगा ।

मुहम्मद अनस 

Tuesday 22 July 2014

मुसलमान और किक

आजकल के मुश्किल भरे दौर में जिस तरह फिलस्तीन से लेकर अमरीका तक उम्मते मुस्लिमां पर तरह तरह के जुल्म ढायें जा रहे है । जिसको देख्ते हुए आने वाला जुमा को (जो कि माहे मुबारक रमजान का आखरी जुमा है जिसको अलविदा कहते है) इस मुबारक मौके पर हर साल की तरह इस साल भी हमारे कौम के मसीहा सलमान खान उर्फ ‘‘भाई‘‘ की एक फिल्म ‘‘किक‘‘ रिलीज हो रही है। 

आपसे बस यही गुजारिश है कि रमजान के महीने को किनारे करते हुए फस्र्ट डे फस्र्ट शो देखकर सवाबे दारैन हासिल करें और भाई हाथो को और मजबूत करें । भाई के बारे में तो किसी से छिपा नही है, भाई का तो कहना ही है कि देश में कोई भी नागरिक रोड पर नही सोएगा और अगर सोने की जुर्रत करेगा तो भाई गाड़ी से इस देश के गरीबो और गरीबी दोनो को कुचल देंगें। भाई की सामाजिक संस्था एैसी है कि उसमें तो गरीबों के लिये तों कोई चीज है ही नही सभी चीजे पांच सौ रुपये से उपर। बस अर्ज यह कर रहा था कि आप सभी मुसलमान भाईयों से गुजारिश है कि अगर इस जुमें को आप इस फिल्म को छोड़ देते है तो फिर ईद की नमाज के बाद ईदगाह से ही रिक्शा लेकर सिनेमा हाल जाकर 100 या 200 नहीं पूरे पांच सौ करोड की कमाई कराये ताकि लोग मुसलमानो की ताकत का अन्दाजा लगाकर किसी भी तरह की गुस्ताखी करने की हिम्मत न करे और मुझे पूरी उम्मीद है कि आपके इस एहतेजाज को देखकर अमरीका और इसराईल फिलस्तीन से पैरो के बल गिरकर माफी मांगेगा।

मुहम्मद अनस 

Wednesday 16 July 2014

कौम के ढोंगी रहनुमा

तस्वीर उधार लेनी पड़ती है

इन्ही सब बातों पर जब कौम के ढोंगी रहनुमाओ को गरियाता हूँ तो कहते हैं लड़का बिगड़ गया है, जब चुप तो जमीर धकियाते है आखिर करें तो करें क्या। जब मुज़फ्फर नगर में दंगा होता है तो कौम के ढोंगी रहनुमा बिल में घुस जाते हैं, फिर चुनाव के समय हजरत बुखारी साहब अपील करते है मुसलमानो के नाम की फलाने को जिताना, अब इराक में बगदादी साहब खुद को खुद ही खलीफा घोषित कर दिए चाहे पता भी न हो कि खलीफा का काम क्या होता है। बस चोरो की तरह वीडियो जारी करके और कुछ मासूमो को मार के दादा बने है। और आज जब गाज़ा में (88 फलीस्तीनी मारे गए और 339 जख्मी हैं जिसमे ज्यादातर तादाद बच्चो की हैं ) तो फिर ये कौम के ढोंगी रहनुमा कौन से बिल में घुसे हैं पता नही ।
अरे इस्लाम के नाम पर मत बोलो कम से कम इंसानियत के नाम पर तो बोलो लेकिन नहीं उसमे तो नानी मरती हैं तुम्हारी बस पैसा और रसूख लेने के लिए बरसाती मेढक की तरह आ जाते हों । गलत नही कहा गया है की जहन्नम में सब पहले उलमा ही जायेंगे ।

तस्वीर भी इतनी दहसतनाक आती है गूगल पर की उधार लेनी पड़ती है