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Monday 14 March 2016

ओवैसी और उनकी पार्टी

बार बार लोग सवाल करते हैं ओवैसी और उनकी पार्टी का विरोध क्यों । सबसे पहले अपने बारे में क्यों मेरा विरोध हैं, क्यूंकि जिस तरह मुझे योगी आदित्यनाथ, प्रवीण तोगड़िया से डर लगता हैं ठीक उसी तरह से मेरे हिन्दू दोस्तों को ओवैसी भाइयो से डर लगता हैं । और बात मुस्लिम लीडरशिप की तो मजलिस जो की 1926 की पार्टी हैं, उसका भी संघ की तरह आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नही हैं । और ये लोग बाबरी विध्वंश या फिर गुजरात कहीं भी नही थे हाँ इधर चंद दिनों से दिखने लगे । और मुस्लिमो के लिए कोई अभी तक प्रोग्रेस का माडल नही पेश कर पाये मुसलमानो की हालत आपके सामने हैं । तेलंगाना जहाँ से ये साहब और इनके परिवार आते हैं जहाँ पर इनकी पार्टी और कांग्रेस के मुख्या मंत्री ने मिलकर अफवाह उड़ाई की मुसलमान तेलंगाना बनने के विरोध में हैं । अब जब तेलंगाना बन गया तो वहां पर वक़्फ़ सम्पत्ति वापसी और मुस्लिमो को १२ प्रतिशत नौकरी में भागीदारी के लिए कभी नही आये । आज जब उत्तर प्रदेश के चुनाव करीब और भाजपा लगभग हारने की स्तिथि में हैं तो ये साहब यहाँ ताल पीट रहे हैं । किसी दीनी किताबो में पड़ा था की अच्छी तकरीर (भाषण) सुनने वाले कान अय्याशी होते हैं, ओवैसी बहुत अच्छा बोलते हैं । आजतक मुस्लिम रिफार्म के लिए कोई माडल पेश नही किये ऐसे में निजी रूप से मैं या और भी कोई क्यों मुसलमानो में दूसरा मोदी खड़ा करें । आज हमारे दूसरे भाई मोदी की लफ्फाजी में आकर फंस गए तो क्यों हम अच्छे तकरीरों के चककर में अपने उत्तर प्रदेश को ऐसे साम्प्रादायिक लोगो को दे दें । और रही बात लीडरशिप की तो ये मुसलमानो में अगड़ो के नेता हैं मतलब मुस्लिम ब्राह्मणवाद पच्छड़ो के नही । बाकी मुस्लिम एक हैं का ज्ञान मत दीजियेगा

Tuesday 8 March 2016

भेडचाल वोटर।

दो तीन दिन पहले कहा था की मुसलमानो की अपनी कोई विचारधारा नहीं होती हैं ! आज सच हो रहा है। आज बडे बडे हजरत ढ़ादी वाले और फेसबूक मुसलिम संघठन के नेता सब एक जज के चार शादी वाले फैसले पर प्रतिक्रीया दे रहे ! अक्ल से पैदल मुसलमानो मैने आज तक अपने किसी रिश्तेदार या जान्ने वाले को नही देखा चार शादी किये हुए। तो मुझे कोई दिक्कत भी नही भैया हमे भूख लगी हैं। शिक्षा,रोजगार की जरूरत यहाँ एक शादी का जुगाड़ नही आप चार पर बहस कर रहे हो। पहले कन्हैया और अब चार शादी भैया भाजपा तो बदनाम हैं सिर्फ सांप्रदायिकता के लिए असल सांप्रदायिक तो कम्युनिस्ट,कांग्रेस, और इन जैसी तथाकथित सेकुलर पार्टियां हैं। क्यूँ घोड़े दौडाते हो खून में आठ सौ साल वाले कुछ प्रोडक्टिव करो नाकि किसी के भेडचाल वोटर।