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Friday 26 June 2015

मैं मोहम्मद अनस मुझे अपने मुल्क हिंदुस्तान से मुहब्बत हैं।


मैं मोहम्मद अनस मुझे अपने मुल्क हिंदुस्तान से मुहब्बत हैं। मुहब्बत सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं यहाँ पैदा हुआ या मेरे बाप दादा, और न ही इसलिए कि बटवारे के समय हमारे पूर्वजों का पाकिस्तान न जाने की वजह से यही रह जाना बल्कि इसलिए कि जब इस देश में बँटवारे के बाद साम्प्रदायिक दंगे होते हैं तो उसके विरोध में एक हिन्दू महात्मा गाँधी खड़े होते हैं। बाबरी मस्जिद शहीद की जाती हैं तो उसके विरोध में सबसे आगे हिन्दू ही आते हैं (बाबरी मस्जिद एकशन कमेटी में एक भी हिन्दू न होने का अफसोस और विरोध है।) गुजरात में दंगे होते हैं तो विरोध में सबसे आगे हिन्दू ही आते हैं, बचपन में मेरा भाई कैफ नहीं अर्पित होता हैं, मर मिटने का दिल करता है जब रमज़ान में सहरी के समय अमित अपने फोन मे अलार्म लगाता है। और पूरे नवरात्रों और बड़े मंगल के महीनों में मेरा नानवेज न खाना । हां मै प्रसाद खाता हू क्योंकि वह मिठाई ही होती हैं आपके अनुसार गौ मुत्र नहीं। और आप चचा। खजुर खाने से हिन्दू ही रहेंगे मुसलमान नहीं। तो कसम मुझे मेरे मुल्क की इनही सब चीजों को देखकर धार्मिक कट्टरपंथियों से लड़ने और मुल्क से मोहब्बत करने का दिल करता है।  

Monday 15 June 2015

इंदिरा की इमरजेंसी तो नही देखि लेकिन मुझे ये दौर उस इमरजेंसी से भी ज्यादा बुरा दौर लगता हैं

जब इस देश में भ्रटाचार के खिलाफ अन्ना हजारे प्रदर्शन करते हैं तो उनके धरने को कामयाब बनाने के लिए पत्रकार ही आगे आते हैं , और जब कभी निर्भय,दामिनी, गुडिया और भी बेहें बेटियों के साथ जब कोई कृत्य होता हैं उसके विरोध में सबसे पहले पत्रकार ही आगे आता हैं | बड़े से बड़े आन्दोलन और अप्बो तो कई राजनीतिक पार्टियां और आन्दोलन भी मीडिया की ही देन हैं | पर जब उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार साथी जोगेंद्र को जलाकर मार दिया जाता हैं तो देश का सभी तबका चुप बैठा हैं | बड़े बड़े चैनलों के पत्रकार (कुछ को छोड़कर) एन जी ओ टाइप समाजसेवी, भेदभाव के खिलाफ तथाकथित आन्दोलन करने वाले मसीहा, या फिर ये सब सिर्फ अवार्ड खरीदने के लिए करते हैं | खुदा खैर करें अगर ये घटना उत्तर प्रदेश में किसी वकील के साथ हुयी होती तो अब तक मंत्री जी को छोड़ दीजिये मुख्यमंत्री भी हिल जाते | पर इसमें गलती पत्रकारों की भी नही हैं छोटे वाले लिखते और विरोध करते हैं पर बड़े पत्रकार अपनी गोटियाँ फिट करने के चक्कर में किसी के खिलाफ कुछ बोल नही पाते | इंदिरा की इमरजेंसी तो नही देखि लेकिन मुझे ये दौर उस इमरजेंसी से भी ज्यादा बुरा दौर लगता हैं | कुछ तो करिए नही तो आने वाली पीड़ी इस दौर के पत्रकारों पर जरूर शर्म करेगी| ‪#‎ripjogender‬‪#‎shameonUttarpradeshgovernment‬ ‪#‎shameonrammoortiverma‬