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Saturday, 21 May 2016

अल्हम्दु लिल्लाहिल रब्बुल आलमीन यानि सारे जहाँ का रब अल्लाह हैं !


एक वक़्त था जब मोदी को कुछ कहते थे खूब गालिया पड़ती थी  फिर हमारे चंद लोगो की गलती की वजह से जिन्होंने चिकनी चुपड़ी बातों में आकर एक ऐसा प्रधान मंत्री दे दिया जिसके पास जुमलों के सिवा कुछ नहीं।  अब उसी का मुस्लिम वर्जन असद उद्दीन ओवैसी जो की मोदी जी से काबिलियत में ज्यादा हैं हाँ तजुर्बा चाहे कम ही होगा।  ओवैसी साहब सन 1994 से 99 तक विधायक और सन 2004 से लगातार हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद। जिनको सामान्यत सभी लोग नहीं जानते थे अचानक से 22 दिसंबर 2012 को उनके छोटे भाई अकबर ओवैसी अदिलाबाद में पंद्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो वाला भाषण देते हैं। लाइम लाईट में पूरी पार्टी जाती हैं। उनको मीडिया तवज्जोह देना शुरू कर देती हैं और वो पूरे देश का दौर करना शुरू कर देते हैं। (मेरे अनुसार संघ की गोद में खेलने वाली पार्टी लेकिन उस पर फिर कभी ) 1927 से संस्थापित पार्टी पूरे देश में चुनाव लड़ने की घोषणा कर देती। और मुसलमानो की रहनुमाई का नाटक शुरू कर देती हैं मुस्लिमो को संघठित होने मुहीम सुरु कर देती हैं। तो मेरे भाई जो मुझे गाली दे रहे और दूसरी पार्टियों का दलाल कह रहे हैं। उनसे भाई जब बाबरी विध्वंश होता हैं उसके विरोध में हमारे बहुत से हिन्दू साथी ही खड़े होते हैं। गुजरात दंगा होता हैं तो तीस्ता सीतलवाड़ खड़ी होती हैं। इसी तरह के बहुत से मामले हैं इस देश में जब मुस्लिमो पर हुए अत्याचार पर दूसरे मजहब लोग खड़े होते हैं और जब चुनाव का वक़्त आता हैं । तो कोई बाहरी मुसलमान आकर संगठित होने की बात कर देता हैं । आप कहते हैं हम उसी को जिताएंगे अरे किसी भी तरह की परेशानी में जलना हमें ही मुसीबत में अपने लोगो से ही मदद लेनी हैं।  हैदराबाद की पाश कालोनी बंजारा हिल्स में रहने वाले अमीरों से नहीं। हाँ बहुत से लोग कहते हैं की सेकुलरिज्म का ठेका क्या सिर्फ मुसलमानो ने उठा रखा हैं क्या, तो हाँ हम मुसलमानो ने उठा रखा हैं क्यूंकि जब हम क़ुरआन खोलते हैं । तो पहले ही अल्लाह तआला फरमाता हैं अल्हम्दु लिल्लाहिल रब्बुल आलमीन यानि सारे जहाँ का रब अल्लाह हैं । हाँ ध्यान देने वाली बात रब्बुल आलमीन हैं रब्बुल मुस्लिमीन नहीं हैं। और मेरे नबी भी सारे आलम पर रहमत बनकर आये सिर्फ मुसलमानो के नहीं ओवैसी साहब की तरह की वो सिर्फ एक मजहब के नेता हैं। तो जब मेरे अल्लाह सारे आलम का रब हो सकता हैं सारे मेरे भाई नहीं। बाकी आप लोगो की मर्जी। अगर मेरी बात किसी को बुरी लगे तो माफ़ी।

Monday, 14 March 2016

ओवैसी और उनकी पार्टी

बार बार लोग सवाल करते हैं ओवैसी और उनकी पार्टी का विरोध क्यों । सबसे पहले अपने बारे में क्यों मेरा विरोध हैं, क्यूंकि जिस तरह मुझे योगी आदित्यनाथ, प्रवीण तोगड़िया से डर लगता हैं ठीक उसी तरह से मेरे हिन्दू दोस्तों को ओवैसी भाइयो से डर लगता हैं । और बात मुस्लिम लीडरशिप की तो मजलिस जो की 1926 की पार्टी हैं, उसका भी संघ की तरह आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नही हैं । और ये लोग बाबरी विध्वंश या फिर गुजरात कहीं भी नही थे हाँ इधर चंद दिनों से दिखने लगे । और मुस्लिमो के लिए कोई अभी तक प्रोग्रेस का माडल नही पेश कर पाये मुसलमानो की हालत आपके सामने हैं । तेलंगाना जहाँ से ये साहब और इनके परिवार आते हैं जहाँ पर इनकी पार्टी और कांग्रेस के मुख्या मंत्री ने मिलकर अफवाह उड़ाई की मुसलमान तेलंगाना बनने के विरोध में हैं । अब जब तेलंगाना बन गया तो वहां पर वक़्फ़ सम्पत्ति वापसी और मुस्लिमो को १२ प्रतिशत नौकरी में भागीदारी के लिए कभी नही आये । आज जब उत्तर प्रदेश के चुनाव करीब और भाजपा लगभग हारने की स्तिथि में हैं तो ये साहब यहाँ ताल पीट रहे हैं । किसी दीनी किताबो में पड़ा था की अच्छी तकरीर (भाषण) सुनने वाले कान अय्याशी होते हैं, ओवैसी बहुत अच्छा बोलते हैं । आजतक मुस्लिम रिफार्म के लिए कोई माडल पेश नही किये ऐसे में निजी रूप से मैं या और भी कोई क्यों मुसलमानो में दूसरा मोदी खड़ा करें । आज हमारे दूसरे भाई मोदी की लफ्फाजी में आकर फंस गए तो क्यों हम अच्छे तकरीरों के चककर में अपने उत्तर प्रदेश को ऐसे साम्प्रादायिक लोगो को दे दें । और रही बात लीडरशिप की तो ये मुसलमानो में अगड़ो के नेता हैं मतलब मुस्लिम ब्राह्मणवाद पच्छड़ो के नही । बाकी मुस्लिम एक हैं का ज्ञान मत दीजियेगा

Sunday, 20 September 2015

अकबर ओवैसी के पन्द्रह मिनट वाले बयां को और अकबर को छोड़ दें

अकबर ओवैसी के पन्द्रह मिनट वाले बयां को और अकबर को छोड़ दें, तो असद ओवैसी में कोई दिक्कत नहीं हैं | लेकिन उनकी छवि हैदराबाद के बाहर कट्टरपंथी नेता की बनी हैं | तो फिर जब आप तोगड़िया को गाली देते हैं, तो फिर ओवैसी को क्यों नहीं जबकि तोगड़िया के बयान हमेशा द्दुसरे मजहब के लिए जहर ही रहे हैं। और असद ओवैसी ने आजतक कोई भी बात देश या दुसरे समाज के खिलाफ नही कही मैंने बहुत गूगल किया पर कुछ मिला नही अगर किसी को मिले तो जरुर दें पर हाँ सुदर्शन वाला मत देना प्लीज | लेकिन जिस तरह मोदी भक्त चुनाव से पहले गुजरात मॉडल को देखने की बात करते हैं ओवैसी भक्त भी हैदराबाद माडल दिखलाते हैं | जिस तरह वे जरा विरोध करने पर पाकिस्तान जाने की बात तो ओवैसी वाले भी माँ बहेनो को शान में गुस्ताखी करने लगते हैं |
कुछ लोग जो इल्जाम लगाते हैं सीमांचल में चुनाव लड़ने को लेकर उसमे भी 24 सीटो में 12 भाजपा की और 2 लोजपा की हैं अब उसमे अगर ये अच्छा कर ले गये तो नुक्सान भाजपा का ही हैं अगर छदम सेकुलर पार्टी और कुछ बिकाऊ मुसलमान अपनी निर्दलीय ताल न ठोके तो | ओवैसी को लेकर अजीब असमंजस है Wasim भाई और Samarभैया कुछ रौशनी डाले आज वसीम भाई ने लिखा तो माजरत के साथ टैग करके पूछ लिया क्यूंकि यहाँ सिर्फ आप की समर भैया की राय पर फैसला लेना ज्यादा आसन रहता हैं | आज दिन में Mohammed Mehdi भाई से इस विषय पर चर्चा में एक बात जो जहन में है क्या ओवैसी के पास मुस्लिम शिक्षा के रिफार्म के लिए कोई खाका हैं | या फिर ये सब भी मोदी टाइप की कांग्रेस के पास नही हैं, और सच्चर कमिटी रिपोर्ट की बात मत कीजियेगा नही तो उनकी पार्टी को ही वोट करे फिर मुसलमान आपके पास भी तो कुछ होगा |


मुहम्मद अनस गुरु