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Saturday, 12 September 2015

एक खुला पत्र

एक खुला पत्र (क्यूंकि इनबॉक्स में बात करना मेरी आदत नही ) मेरी काबिल दोस्त अपूर्वाके नाम हजारो संघी मुसंघी हो जाए और मुसंघी संघी मुझे कोई अफ़सोस नही | आपका किसी भी तरह से संघी मुसंघी को समर्थन करने पर दुःख होगा हैं | क्यूंकि इस साम्प्रदायिकता भरे दौर एक Samarभैया (और भी नाम है) की तरह आप भी इंसानियत के झंडाबरदार हो |
आपका मत: “लाखों के कत्ले आम का दाग धो दिया आज जर्मनी ने, धर्म से पीड़ित 18000 लोगों को शरण दी है और 8 लाख विस्थापित मुस्लिम शरणार्थियों को शरण देगा जर्मनी।“”
जवाब : जर्मनी या किसी के भी किसी को शरण देने से पुराने मतलब यहूदियों की हत्या का पाप कैसे धुलेगा | और सीरियन मानता हूँ मुस्लिम शरणार्थि हैं पर उनको सीरियन नागरिक कहना क्या उचित नही हैं खैर इसमें कोई विरोध नही |
आपका मत : “क्या अरब देशों के लिए शर्म की बात नहीं, क्या सबक नहीं लेना चाहिए, क्या मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों को आज आत्ममन्थन नहीं करना चाहिए।“
जवाब : अरब देशो ने बहुत से ऐसे काम किये हैं जिससे सर शर्म से झुक जाता हैं | लेकिन आप ये क्यूँ भूल जाती हैं इसी सीरियन शरणार्थियों में जिनकी तादाद UNHCR रिपोर्ट के मुताबिक़ 4 मिलियन हैं |
Total population: 4,088,079 estimated (29 August 2015) 4,088,078 registered by UNHCR
(29 August 2015) (Numbers do not include foreign citizens who left Syria) Turkey2,138,999 estimated (April 2015) 1,938,999 registered (April 2015) Lebanon 1,196,560 estimated (April 2015)1,185,241 registered (April 2015) Jordan 1,400,000 estimated (August 2015) 629,245 registered (August 2015)
Saudi Arabia 500,000 estimated (September 2015)"not classified as refugees" by Bloomberg The widely held opinion that Saudi Arabia, the biggest of the Gulf nations, hasn't taken in a single refugee may well be incorrect. Nabil Othman, acting regional representative to the Gulf region at the United Nations' refugee agency, UNHCR, told Bloomberg there were 500,000 Syrians in that country. Saudi Arabia, like all of the Gulf States, is not a signatory to the UN refugee convention, so these displaced people are not officially designated as refugees.
Iraq 247,861 estimated (March 2015) 247,861 registered (March 2015) Egypt133, 862 estimated (April 2015) 133,862 registered (April 2015) Kuwait 120,000 estimated (2015) "Syrian expatriates who have overstayed in Kuwait" Germany 105,000 estimated (March 2015) Greece 88,204 (2015 only) Sweden At least 40,000 (2015) Algeria 25,000 estimated (Aug 2012) 10,000 "asylum seekers" (Jan 2013) Austria At least 18,000 (2015) Armenia 17,000 estimated (July 2015) United Kingdom 5,102 (2015) Bahrain 5,000 estimated (September 2012) Libya4,716 estimated (February 2013) Italy 4,600 estimated (Sep 2013) Australia 4,500 (2015) Bulgaria more than 4,500 (Sep 2013) As many as 10,000 expected by the end of 2013 Canada2,374 (August 2015) Brazil 2,077 (August 2015) United States 1,500 (March 2015) Romania1,300 (July 2014) Russia1,000 (Feb 2014) Gaza Strip 1,000 (Dec 2013) France 500 estimated (October 2013) Argentina 300+ families (Aug 2013) Macedonia 255 Poland150 (July 2015) Hungary 'Hundreds' (October 2015) Colombia 100 (September 2014) Uruguay 100 (October 2014)Mexico 30 (October 2014).. जिसमे से आप खुद ही अंदाजा लगा सकती हैं कितनी मुस्लिम देश हैं खैर वो मसला नही मदद कोई भी दे मकसद उस परेशानी का खत्म होना होता हैं |
आपका मत : “लेकिन शायद मुस्लिम धर्म अपनी कुरान और हदीस से बाहर ही नहीं आना चाहता, खुद को शान्ति वाला धर्म कहने वाले आज सबसे अशांत हैं और धार्मिक आधार पर कत्ले आम में सबसे आगे | “
जवाब : यहाँ पर मरने वाले भी मुस्लिम हैं और मारने वाले तो उसमे क्या कहा जाये जो मर रहे हैं शांत होकर वो मुस्लिम नही |और कुरान और हदीस में कहाँ लिखा हैं की किसी को मरना सवाब का काम हैं जंग के भी उसूल हैं हैं, उसमे औरतो बच्चो बुजुर्गो के लिए भी कानून हैं | माफ़ कीजिये आप isis और लश्करे तैबा को ही इस्लाम समझती हैं तो ये आपकी गलत फहमी हैं |
आपका मत : वैसे तो संगठित धर्म होते ही शुद्द राजनीति हैं पर खुद को मानवीय और दया धर्म दर्शाने वाला मुस्लिम धर्म तो टिका ही हकीकत में शुद्द सत्ता की राजनीति पर है, सिया और सुन्नी शुद्द सत्ता के झगड़े में ही विभाजित हुए और आजतक एक दुसरे का खून बहाते हैं। बड़े सहज मुफ़्त में लड़ने मरने वाले मूर्ख सैनिक मिलते हैं धर्म के नाम पर।
जवाब : भारत में मुस्लिम कौन सत्ते के लिए आपस में मारपीट करते हैं | जैसे यहाँ ब्राह्मण,ठाकुर दलितों को सिर्फ अपना रसूख के लिए दबाते हैं | हाँ वहां पर शिया सुन्नी का झगडा हैं जो की अंधभक्ति हैं| पर इस्म्लाम इसकी इजाजत कबसे देने लगा| कलबुर्गी,दाभोलकर और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की हत्या कर देना मुझे नही लगता इसकी हिन्दू धर्म इजाजत देता हैं, तो कलबुर्गी की हत्या को क्या धर्म से जोड़ दिया जाए और आज विश्व में जिस इस्लामिक देशो में गृह युद्ध चल रहा हैं कृपया उसके कारण भी देख लें |
आपका मत : “बेशक इस कट्टरता अंध धर्मानुशरण का अमेरिका जैसे पूँजीवादी धूर्त सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं पर अमेरिका को पूर्ण जिम्मेदार ठहरा खुद की धार्मिक मूर्खताओं को नजर अंदाज करना कबूतर की तरह आँख मूंदना ही होगा, असली जिम्मेदार खुद मुस्लिम और उनकी धर्मान्धता है जो धर्म से बाहर आकर कुछ सोचते ही नहीं जो सैंकड़ो साल पहले लिख कह दिया गया वो वर्तमान में भी अक्षरस अटल है।“
जवाब : कौनसे मुस्लिम धर्मान्धता करते हैं जरा बता दीजिये सैकड़ो साल पहले अज़ान मस्जिदों में दीवार पर खड़े होकर दि जाती थी | और आज बंद कमरों में लाउडस्पीकर लगाकर | और बहुत सी रुदिवादिता थी मुस्लिम धर्म में आज कोसो दूर हैं| कभी समय हो तो हमारे घर की शादी विवाह या और दुसरे कार्यकर्मो को देख लें | दहेज़ का सबसे पहला विरोध इस्लामियो ही ने किया आपके यहाँ तो आदमी लड़का भी अपनी हैसियत के मुताबिक देख सकता हैं उससे उपर के लिए और भी पैसो का इंतजाम करनापड़ेगा |
आपका मत : “हर धर्म ने खुद को समयानुसार बदला है ईसाईयों ने अपनी धर्मान्धता वर्षों पीछे छोड़ दी, हिन्दू धर्म अपनी छुआछूत असमानता से काफी हद तक उबर चुका है, और लगातार कट्टरवादी हिन्दू ताकतों की सक्रियता के बावजूद भी बहुसंख्यक हिन्दू उदारवादी हैं।“
जवाब : धार्मिक लिहाज से देखिये तो आज भी सभी धर्म अपनी पुरानी जंजीरों में खुद को जकड़े हुए हैं आज़ाद होना ही नही चाहते | और रही हिन्दू धर्म की छुआछुत की बात तो रहने दीजिये साम्प्रदायिकता फ़ैल जायेगी | आज भी दलितों की जिंदगी दोयम से भी निचले सस्तर पर हैं | आज भी उनको मंदिरों घुसने नही दिया जाता पुजारी बनाना तो दूर की बात | सती प्रथा आज भी दूर दराज के गाँव में हैं दो शादी अगर लिखी हैं तो पहली किसी जानवर से कराते हैं आदि आदि | माफ़ कीजियेगा सभी धर्मो में कुरीतियाँ भरी पड़ी हैं | उसमे खुद को श्रेष्ठ और दुसरे को नीचे कहना गलत हैं और मेरे सिर्फ और सिर्फ उसी का विरोध हैं |
आपका मत : “हालांकि भारतीय मुस्लिम को दुनिया भर के मुस्लिमो के परिपेक्ष में देखना गलत होगा पर धर्म केंद्रित सोच धार्मिक संकीर्णता यहां भी हावी है।“
जवाब ; यहाँ भारत में आपने कौन से मुस्लिमो को देख लिया मुझे नही पता पर मुझे नही लगता आपने कभी खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, ए पी जे अब्दुल कलाम, वीर अब्दुलहमीद को न देखा न सुना कभी |
आपका मत : “ऐसा क्या है मुस्लिम धर्म में की आज भी प्रगतिशील सोच अधर्म की श्रेणी में आती है, किसी मुस्लिम की हिम्मत नहीं की आंतरिक कुरूतियों पर एक शब्द फोड़ दे, क्यों समाज सुधारक पैदा नही हो पाते मुस्लिम धर्म में। कोई बात कुरान हदीश से बाहर स्वीकार नहीं, धार्मिक ठेकेदार, फतवे आज भी हावी हैं। शिक्षा, रोजगार, समाज का विकास मुद्दा नहीं अहम है धर्म। वो धर्म जो इंसान को सैंकड़ो साल पीछे का जीवन जीने को मजबूर करता है वर्तमान में भी।“
जवाब : माफ़ कीजियेगा आपने शायद इस्लाम को ओसामा बिन लादेन वाला समझ कभी देखा या पड़ा नही |
मुहम्मद साहब कहते हैं की अगर तुम्हे शिक्षा ग्रहण करने के लिए अगर चीन जाना पड़े तो जाओ | अब ये बताइए उस समय इस्लामी शिक्षा अरब से अच्छी कहीं नही थी तो चीन में कौन सी यूनिवर्सिटी थी जहाँ जाने का हुक्म था| तो इस्लाम हमेशा से शिक्षा का पैरोकार रहा हैं हाँ कुछ संकीर्ण इस्लामियो (सभी धर्मो में होते हैं ) ने उसका मतलब सिर्फ दीनी मदरसों से जोड़ दिया हैं | और दुनियावी शिक्षा को बदल दिया जो की अब बदल रहा हैं | कुरान की सबसे पहली आयात जी उतारी गयी”इकरा बिसम रब्बिकल लज़ी खलका” यानि अपने मालिक का नाम ले कर पढ़जिस ने तुझे पैदा किया, ओज किस मुस्लिम को आपने सैकड़ो साल पीछे का जीवन जीते देख लिया हैं टीवी,इन्टरनेट,कार सभी कुछ से तो लैश हैं |
आपका मत : आश्चर्य जब होता है जब सोशल मीडिया पर देखता हूँ लोग हिन्दू संगठनो संघ, विहिप के धार्मिक ब्यानो का मजाक उड़ाते हैं पर अपने यहाँ व्याप्त दोगुनी घोर धर्मान्धता कुरूतियों पर एक शब्द बोलने को तैयार नहीं बल्कि गाहे बगाहे उसे जायज ठहराते हैं।
जवाब ; आपने किन लोगो को देखा मुझे नही पता पर कभी ओवैसी भाइयो का सबसे ज्यादा विरोध किन लोगो ने किया ये आपने नही देखा या धार्मिक कुरीतियों को आपने नही देखा | चाहे कश्मीर में रौक बैंड वाली लडकियों के खिलाफ फतवा या कुछ उलूल जुलूल चीज आपने कभी Wasim Akram Tyagi को नही देखा क्या और भी कई नाम हैं,पर वो शायद दीखते नही |
आपका मत : आज मुस्लिम धर्म को धार्मिक ठेकेदारों की नहीं ढेर सारे समाज सुधारकों की जरूरत है जो उन्हें धार्मिक बेड़ियों से आजाद कर समाज में तर्कशील, विकास प्रिय प्रगतिशील सोच डाल सके |
जवाब ; फिर से वही सवाल आपको मुस्लिमो के समाज सुधारक नही दीखते | तो खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक हमारे Faisalbhai भी जिन्होंने अपनी पूरी जिदगी दे दि हैं सिर्फ इंसानियत कें लिए |
{नरुका अंकल से साभार चुराया हुआ , पर एक एक लाइन मे बिलकुल मेरे भाव समाहित हैं:) }
अपनी बात आपके लिए ये जो पूरी लाइन थी मुझे कहीं से भी नही लगता की आपने सही से पड़ा होगा वरना इतना बड़ी गलती आप तो नही कर सकती हाँ आपके नरुका अंकल उनकी मानसिकता क्या हैं वो तो पता चल गयी | और मुझे ये आपकी सोच अभी तक तो नही लगती | बाकी अगर कुछ ज्यादा कह दिया हो तो कृपया जाहिल समझ कर माफ़ कर दें और अगर लगे तो अन्फ्रेंद और ब्लाक भी दुःख होगा पर अफ़सोस नही | इस्लामिक रुदिवाद पर लिखिए आपका समर्थन हैं पर खुद के धर्म को श्रेष्ठ दुसरे को नीचा कहना पूर्णतया असहमत |

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