तस्वीर उधार लेनी पड़ती है |
इन्ही सब बातों पर जब कौम के ढोंगी रहनुमाओ को गरियाता हूँ तो कहते हैं लड़का बिगड़ गया है, जब चुप तो जमीर धकियाते है आखिर करें तो करें क्या। जब मुज़फ्फर नगर में दंगा होता है तो कौम के ढोंगी रहनुमा बिल में घुस जाते हैं, फिर चुनाव के समय हजरत बुखारी साहब अपील करते है मुसलमानो के नाम की फलाने को जिताना, अब इराक में बगदादी साहब खुद को खुद ही खलीफा घोषित कर दिए चाहे पता भी न हो कि खलीफा का काम क्या होता है। बस चोरो की तरह वीडियो जारी करके और कुछ मासूमो को मार के दादा बने है। और आज जब गाज़ा में (88 फलीस्तीनी मारे गए और 339 जख्मी हैं जिसमे ज्यादातर तादाद बच्चो की हैं ) तो फिर ये कौम के ढोंगी रहनुमा कौन से बिल में घुसे हैं पता नही ।
अरे इस्लाम के नाम पर मत बोलो कम से कम इंसानियत के नाम पर तो बोलो लेकिन नहीं उसमे तो नानी मरती हैं तुम्हारी बस पैसा और रसूख लेने के लिए बरसाती मेढक की तरह आ जाते हों । गलत नही कहा गया है की जहन्नम में सब पहले उलमा ही जायेंगे ।
तस्वीर भी इतनी दहसतनाक आती है गूगल पर की उधार लेनी पड़ती है
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