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Friday, 3 June 2016

मैं वो होने के लिए स्वतंत्र हूँ जो मैं चाहता हूँ। मुहम्म्द अली


मुझे पता है मैं कहाँ जा रहा हूँ और मुझे सच पता है, और मुझे वो नहीं होना है जो तुम चाहते हो। मैं वो होने के लिए स्वतंत्र हूँ जो मैं चाहता हूँ। मुहम्म्द अली
बचपन में लगता था की मुहम्मद अली अब शायद इतिहास बन चुके हैं क्यूंकि ज्यादातर तस्वीर ब्लैक एंड व्हाइट या फिर पुराने लोगो के साथ ही आई। अभी कई साल पहले जब पढ़ा तब जाना की अभी जिन्दा हैं। उन्नीसवीं सदी के एक महान नायक थे वो महान सिर्फ इसलिए नहीं थे की बॉक्सिंग चैंपियन थे, बलिक अमेरिका में अश्वेतों के अधिकार के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी जो की अपने आप में नेलसन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग की लाइन में खड़ा कर देती हैं। आज हमारे बीच नहीं रहे दुखद हैं और शायद यह एक युग का अंत हैं।

Saturday, 21 May 2016

अल्हम्दु लिल्लाहिल रब्बुल आलमीन यानि सारे जहाँ का रब अल्लाह हैं !


एक वक़्त था जब मोदी को कुछ कहते थे खूब गालिया पड़ती थी  फिर हमारे चंद लोगो की गलती की वजह से जिन्होंने चिकनी चुपड़ी बातों में आकर एक ऐसा प्रधान मंत्री दे दिया जिसके पास जुमलों के सिवा कुछ नहीं।  अब उसी का मुस्लिम वर्जन असद उद्दीन ओवैसी जो की मोदी जी से काबिलियत में ज्यादा हैं हाँ तजुर्बा चाहे कम ही होगा।  ओवैसी साहब सन 1994 से 99 तक विधायक और सन 2004 से लगातार हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद। जिनको सामान्यत सभी लोग नहीं जानते थे अचानक से 22 दिसंबर 2012 को उनके छोटे भाई अकबर ओवैसी अदिलाबाद में पंद्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो वाला भाषण देते हैं। लाइम लाईट में पूरी पार्टी जाती हैं। उनको मीडिया तवज्जोह देना शुरू कर देती हैं और वो पूरे देश का दौर करना शुरू कर देते हैं। (मेरे अनुसार संघ की गोद में खेलने वाली पार्टी लेकिन उस पर फिर कभी ) 1927 से संस्थापित पार्टी पूरे देश में चुनाव लड़ने की घोषणा कर देती। और मुसलमानो की रहनुमाई का नाटक शुरू कर देती हैं मुस्लिमो को संघठित होने मुहीम सुरु कर देती हैं। तो मेरे भाई जो मुझे गाली दे रहे और दूसरी पार्टियों का दलाल कह रहे हैं। उनसे भाई जब बाबरी विध्वंश होता हैं उसके विरोध में हमारे बहुत से हिन्दू साथी ही खड़े होते हैं। गुजरात दंगा होता हैं तो तीस्ता सीतलवाड़ खड़ी होती हैं। इसी तरह के बहुत से मामले हैं इस देश में जब मुस्लिमो पर हुए अत्याचार पर दूसरे मजहब लोग खड़े होते हैं और जब चुनाव का वक़्त आता हैं । तो कोई बाहरी मुसलमान आकर संगठित होने की बात कर देता हैं । आप कहते हैं हम उसी को जिताएंगे अरे किसी भी तरह की परेशानी में जलना हमें ही मुसीबत में अपने लोगो से ही मदद लेनी हैं।  हैदराबाद की पाश कालोनी बंजारा हिल्स में रहने वाले अमीरों से नहीं। हाँ बहुत से लोग कहते हैं की सेकुलरिज्म का ठेका क्या सिर्फ मुसलमानो ने उठा रखा हैं क्या, तो हाँ हम मुसलमानो ने उठा रखा हैं क्यूंकि जब हम क़ुरआन खोलते हैं । तो पहले ही अल्लाह तआला फरमाता हैं अल्हम्दु लिल्लाहिल रब्बुल आलमीन यानि सारे जहाँ का रब अल्लाह हैं । हाँ ध्यान देने वाली बात रब्बुल आलमीन हैं रब्बुल मुस्लिमीन नहीं हैं। और मेरे नबी भी सारे आलम पर रहमत बनकर आये सिर्फ मुसलमानो के नहीं ओवैसी साहब की तरह की वो सिर्फ एक मजहब के नेता हैं। तो जब मेरे अल्लाह सारे आलम का रब हो सकता हैं सारे मेरे भाई नहीं। बाकी आप लोगो की मर्जी। अगर मेरी बात किसी को बुरी लगे तो माफ़ी।

Saturday, 23 April 2016

किताबी चेहरा यानि की फेसबुक पर घमासान युद्ध चल रहा हैं।

इधर कुछ दिनों से किताबी चेहरा यानि की फेसबुक पर घमासान युद्ध चल रहा हैं। और हो भी क्यों न संघी और मुसंघियो की लड़ाई में सेकुलरिज्म को ही नुक्सान होता हैं सो हैं। पहली बात इधर एक चचा हैं नाम इसलिए नहीं लेंगे की आप लोग मुझसे ज्यादा समझदार हैं समझ जायेंगे और दूसरी ये की उम्र में ज्यादा है तो बदतमीजी हो जाएगी । हाँ तो बात ये हैं की चचा को बदलाव का बड़ा शौक हैं और इसी बदलाव के चककर में क़ुरान की जगह मनुस्मिर्ति ले आये और जो उसको पड़ कर मनुस्मिर्ति और मनुवाद पर सवाल उठाते हैं। चचा बात ये हैं की सवाल कोई उठाने पर आ जाये तो क़ुरान और इस्लाम पर भी उठा सकता हैं। और आपके अंदर अगर इतना ही कौम मिल्लत का दर्द हैं तो कौम के ठेकदारों पर सवाल उठाइए। अभी हम मुसलमानो के हालत इतने अच्छे नहीं हुए हैं की हम दूसरे मजहबो पर सवाल उठाये। और बात मजहब की तो किसी हम मजहब महिला ने बुर्क़े पर सवाल उठाया तो आपने उसको गन्दी गालियों से नवाजा शायद आप मुहम्म्द साहब की जिंदगी को भूल गए और वो आपका निजी मामला हैं । अंत में एक बात Samar भैया माफ़ी के साथ आपको मेंशन इसलिए कर देते हैं क्यूंकि आप तर्को से सम्झदेंगे गालियां या उन जैसी कोई बात तो नहीं ही कहेंगे। समर भैया हम मर्द कौन होते हैं औरतो कोक्या पहनना हैं और क्या नहीं पहनने और राय और मशवरा देने वाले औरत किसी भी मजहब की हो हम मर्दो की उनके ऊपर कोई ठेकेदारी नहीं चलेगी पूर्णतया स्वतंत्र हैं कुछ भी करने को और हाँ ये वाला भी नहीं चलेगी की बाहर कह दिया और घर में समझा दिया।