इधर कुछ दिनों से किताबी चेहरा यानि की फेसबुक पर घमासान युद्ध चल रहा हैं। और हो भी क्यों न संघी और मुसंघियो की लड़ाई में सेकुलरिज्म को ही नुक्सान होता हैं सो हैं। पहली बात इधर एक चचा हैं नाम इसलिए नहीं लेंगे की आप लोग मुझसे ज्यादा समझदार हैं समझ जायेंगे और दूसरी ये की उम्र में ज्यादा है तो बदतमीजी हो जाएगी । हाँ तो बात ये हैं की चचा को बदलाव का बड़ा शौक हैं और इसी बदलाव के चककर में क़ुरान की जगह मनुस्मिर्ति ले आये और जो उसको पड़ कर मनुस्मिर्ति और मनुवाद पर सवाल उठाते हैं। चचा बात ये हैं की सवाल कोई उठाने पर आ जाये तो क़ुरान और इस्लाम पर भी उठा सकता हैं। और आपके अंदर अगर इतना ही कौम मिल्लत का दर्द हैं तो कौम के ठेकदारों पर सवाल उठाइए। अभी हम मुसलमानो के हालत इतने अच्छे नहीं हुए हैं की हम दूसरे मजहबो पर सवाल उठाये। और बात मजहब की तो किसी हम मजहब महिला ने बुर्क़े पर सवाल उठाया तो आपने उसको गन्दी गालियों से नवाजा शायद आप मुहम्म्द साहब की जिंदगी को भूल गए और वो आपका निजी मामला हैं । अंत में एक बात Samar भैया माफ़ी के साथ आपको मेंशन इसलिए कर देते हैं क्यूंकि आप तर्को से सम्झदेंगे गालियां या उन जैसी कोई बात तो नहीं ही कहेंगे। समर भैया हम मर्द कौन होते हैं औरतो कोक्या पहनना हैं और क्या नहीं पहनने और राय और मशवरा देने वाले औरत किसी भी मजहब की हो हम मर्दो की उनके ऊपर कोई ठेकेदारी नहीं चलेगी पूर्णतया स्वतंत्र हैं कुछ भी करने को और हाँ ये वाला भी नहीं चलेगी की बाहर कह दिया और घर में समझा दिया।
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Saturday, 23 April 2016
Thursday, 14 April 2016
बाबासाहब
बाबासाहब हमेशा से मैं आपसे किसी न कखुद की शिकायत करता हूँ कभी संघियो की तो मुसंघियो की। आज के हालात आप देखते तो शायद रो पड़ते लेकिन कोई नही आपके द्वारा दी गयी संविधान की ताकत हमे मजबूती देती हैं। और हम लड़ेंगे और तब तक लड़ते रहेंगे जब तक अपनी साँसों से न हार जाए।आज जन्मदिन हैं तो चुनाव नजदीक होने की वजह से बड़े बड़े लोग आपका जन्मदिन मना रहे हाँ वो भी धूमधाम से। उसमे शायद मेरा नमन कम ही होगा। कोई नही अबकी बड़े लोगो वाला जन्मदिन मनाइए बाकी हम तो हमेशा से मनाएंगे। एक बात आज फिर जिस पर लोगो को ऐतराज रहता हैं गर मेरा मजहब खुदा के बाद किसी को सजदे इजाजत देता तो मैं वो सजदा बाबा साहब आपको करता क्यूंकि सही मायनों में आप आदर्श हैं अब वो क्यूं उस फिर कभी।
Monday, 14 March 2016
ओवैसी और उनकी पार्टी
बार बार लोग सवाल करते हैं ओवैसी और उनकी पार्टी का विरोध क्यों । सबसे पहले अपने बारे में क्यों मेरा विरोध हैं, क्यूंकि जिस तरह मुझे योगी आदित्यनाथ, प्रवीण तोगड़िया से डर लगता हैं ठीक उसी तरह से मेरे हिन्दू दोस्तों को ओवैसी भाइयो से डर लगता हैं । और बात मुस्लिम लीडरशिप की तो मजलिस जो की 1926 की पार्टी हैं, उसका भी संघ की तरह आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नही हैं । और ये लोग बाबरी विध्वंश या फिर गुजरात कहीं भी नही थे हाँ इधर चंद दिनों से दिखने लगे । और मुस्लिमो के लिए कोई अभी तक प्रोग्रेस का माडल नही पेश कर पाये मुसलमानो की हालत आपके सामने हैं । तेलंगाना जहाँ से ये साहब और इनके परिवार आते हैं जहाँ पर इनकी पार्टी और कांग्रेस के मुख्या मंत्री ने मिलकर अफवाह उड़ाई की मुसलमान तेलंगाना बनने के विरोध में हैं । अब जब तेलंगाना बन गया तो वहां पर वक़्फ़ सम्पत्ति वापसी और मुस्लिमो को १२ प्रतिशत नौकरी में भागीदारी के लिए कभी नही आये । आज जब उत्तर प्रदेश के चुनाव करीब और भाजपा लगभग हारने की स्तिथि में हैं तो ये साहब यहाँ ताल पीट रहे हैं । किसी दीनी किताबो में पड़ा था की अच्छी तकरीर (भाषण) सुनने वाले कान अय्याशी होते हैं, ओवैसी बहुत अच्छा बोलते हैं । आजतक मुस्लिम रिफार्म के लिए कोई माडल पेश नही किये ऐसे में निजी रूप से मैं या और भी कोई क्यों मुसलमानो में दूसरा मोदी खड़ा करें । आज हमारे दूसरे भाई मोदी की लफ्फाजी में आकर फंस गए तो क्यों हम अच्छे तकरीरों के चककर में अपने उत्तर प्रदेश को ऐसे साम्प्रादायिक लोगो को दे दें । और रही बात लीडरशिप की तो ये मुसलमानो में अगड़ो के नेता हैं मतलब मुस्लिम ब्राह्मणवाद पच्छड़ो के नही । बाकी मुस्लिम एक हैं का ज्ञान मत दीजियेगा
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