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Thursday, 6 December 2012

कश्मीरी आया होगा - शाल बेचने

कश्मीरी आया होगा - शाल बेचने ! माँ, चाची , मामी , फुआ , पड़ोस वाली आंटी लोग सब लोग उसको घेर के बैठ गए होंगे ! उसके गठरी की एक - एक शाल को देख रहे होंगे ! माँ भी दो शाल ली होगी - सस्ता ! पश्मीना कभी देखा नहीं - ख़रीदा नहीं - छुआ नहीं - ओढा नहीं ! पूछने पर् बोलेगा - पचास हज़ार से शुरू ही होता है ! पश्मीना के नाम पर् 'पश्मीना मिक्स' कोई दो तीन हज़ार में बेच जायेगा ! इस् बार छुट्टी में घर जाऊंगा तो माँ वो शाल मुझे दिखाएंगी - फिर बातों बातों में नानी का जिक्र आएगा - कहेंगी - नानी पश्मीना रखती थी - सोना के फ्रेम वाला चश्मा के साथ - नानी की एक तस्वीर माँ के अलमीरा में रखी हुई है - पश्मीना शाल ओढ़े हुए - उसी चश्मा के साथ - मैं बचपन में हँसता था - माँ .. ब्लैक एंड व्हाईट फोटो में ..चश्मा सोना का है या लोहा है - कैसे पता चलता है ..... ! सिर्फ बाप दादा का ही क्यों - मेरे इस खून में - माँ , नाना नानी भी तो बसते हैं - सब कुछ बिखर गया है - धत्त ..खून भी कभी बिखरता है ? वो तो रगो में दौड़ता है या फिर .....ब्लीड करता है !
अरे.....हाँ ....कश्मीरी फिर अगले साल ...नए शाल के साथ आएगा ! :)) 

Saturday, 4 August 2012

Dedicate to My Mother




कभी कभी नींद बहुत आती है पढ़ते पढ़ते] माँ तू होती तो कह देते एक कप चाय बना दे
थक गए हैं बाहर का खाना खा खा कर माँ तू होती तो कह देते दो आलू के पराठे बना दे
वो कोशिश रोज़ खुश रहने की माँ तू होती तो एक बार मुस्करा लेते
बहुत दूर निकल आये हैं घर से चलते चलते माँ तेरे सपनो की परवाह ना होती तो कब का घर लौट आये होते तरसते हैं तेरे प्यार के सागर को- ममता के आँचल को पाने के लिए यहाँ कोई दया की भीख भी नहीं देता जी रहे हैं इस संसार में तन से हार कर, मन को मार कर घर से दूर अपनों से अलग इस मतलबी संसार में माँ की दुआओं का असर सा लगता है एक मुद्दत से मेरी माँ सोई नहीं जब मैंने एक बार कहा की माँ बाहर मुझे डर लगता हैA

Main Beti Hoon




कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है,
मिले गर भाव अच्छा जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है।
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो चैराहे पे वर्दी बेच देता है।
जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वहीं बेटी के जिस बेटी की खातिर बाप अपनी किडनी बेच देता है।
कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर,
बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है।
ये कलयुग है कोई भी चीज नामुम्किन नहीं,
इसमें कली,फल,पेड़,पौधे, फूल माली बेच देता है।
उसे इंसान क्या हैवान कहने में भी शर्म आये,
जो पैसो के लिये अपनी बेटी ही बेच देता है।
जुए में बिक गया हूं मै तो हैरत क्यों है लोगो को,
युधिष्ठर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है।

साभार फेसबुक पेजः बेटी बचाओ आन्दोलन