कभी कभी नींद बहुत आती है
पढ़ते पढ़ते] माँ तू होती तो कह देते एक कप चाय बना दे
थक
गए हैं बाहर का खाना खा खा कर माँ तू होती तो कह देते दो आलू के पराठे बना दे
वो
कोशिश रोज़ खुश रहने की माँ तू होती तो एक बार मुस्करा लेते
बहुत दूर निकल आये हैं घर
से चलते चलते माँ तेरे सपनो की परवाह ना होती तो कब का घर लौट आये होते तरसते हैं तेरे प्यार के सागर को- ममता के आँचल को पाने के लिए यहाँ कोई दया की भीख भी नहीं देता जी रहे हैं इस संसार में तन से हार कर, मन को मार कर घर से दूर अपनों से अलग इस मतलबी संसार में माँ की दुआओं का असर सा लगता है एक मुद्दत से मेरी माँ सोई नहीं जब मैंने एक बार कहा की माँ बाहर मुझे डर लगता हैA
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