कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है,
मिले गर भाव अच्छा जज भी अपनी कुर्सी बेच देता है।
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक,
पुलिस वाला तो चैराहे पे वर्दी बेच देता है।
जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वहीं बेटी के जिस बेटी की खातिर बाप अपनी किडनी बेच देता है।
कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर,
बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है।
ये कलयुग है कोई भी चीज नामुम्किन नहीं,
इसमें कली,फल,पेड़,पौधे, फूल माली बेच देता है।
उसे इंसान क्या हैवान कहने में भी शर्म आये,
जो पैसो के लिये अपनी बेटी ही बेच देता है।
जुए में बिक गया हूं मै तो हैरत क्यों है लोगो को,
युधिष्ठर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है।
साभार फेसबुक पेजः बेटी बचाओ आन्दोलन
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