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Tuesday, 9 February 2016

फेसबुक पर धार्मिक पोस्ट !


फेसबुक पर थोड़ी बहुत धार्मिक पोस्ट डालने के बाद आपको लगने लगा हैं की आप धर्म और जात से ऊपर उठ गए हैं । तो वो आपका तपस्या या अध्यात्म नही बल्कि घमंड हैं । क्यूंकि आपका नजरिया हमेशा दो होता हैं । कभी तो आप याक़ूब मेमन की फांसी का विरोध करते हैं,तो दूसरी तरफ कमलेश तिवारी के लिए फांसी की मांग । शर्ली अब्दो की हत्या गलत, पर कार्टून भी सही नही,तो आपको लगने लगा की आप धर्म और जात से ऊपर उठ गए हैं, तो ये आपकी गलत फहमी हैं । क्यूंकि आप निरे घमंडी हैं और कुछ नहीं बाकी मेरा मतलब आपको आइना दिखाने का नही बस आप की तरह जो लोग फेसबुक पर मुसलमानो का गठबंधन बनाकर इस तरह की बात करते हैं उनके लिए ।

Saturday, 6 February 2016

खान अब्दुल गफ्फार खान एक व्यक्तित्व


आज खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्मदिन है। खान साहब मेरे लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे। बहुत ज्यादा नहीं पढ़ा या जान पाया हूँ लेकिन जितना जाना उस हिसाब से तो खुदाई खिदमतगार कभी हो ही नहीं सकता। पर खुद से लड़ाई हैं खुदाई खिदमतगार बनने की और इंशाअल्लाह जिंदगी भर रहेगी। मुझे पता है आज अगर खान साहब होते तो मुझ नाचीज को डांट कर ठीक कर देते। जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ सभी खुदाई खिदमतगारो को। मैंने खान साहब को देखा तो नहीं पर मैं कह सकता हूँ कि मैंने देखा है क्योंकि उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने में निरंतर लगे रहन वाले Faisal भाई की मेहनत और लगन भी देखी हैं।

खान साहब सोचते थे अगर वे कुछ ऐसे खुदाई खिदमतगार पैदा कर सकें जो मन,बचन और कर्म से एक हो तो उसका जीवन सफल हो जाए | इसीलिए वो बार बार कहते की मुझे ज्यादा खुदाई खिदमतगारो की नही | मुझे तो सिर्फ कुछ सच्चे खुदाई खिदमतगार की जरूरत हैं । खान साहब कहते थे एक खुदाई खिदमतगार में ये खूबियाँ तो होनी ही चाहिए जो वह वो करके दिखाएं | पार्टीबाजियां, मुक़दमे बाजियां और दुश्मनिया न करें | किसी पर जोर जुल्म न करें 
किसी से बदला न लें जो कोई उसकी बुराई करे वो उसके साथ यह न करें अच्छा चरित्र और अच्छी आदते पैदा करें जुल्म के खिलाफ आवाज़ दें | सच बोले
दुराचार से बचा रहे शुद्ध, स्वच्छ और सरल हो |
वो बार बार कहते थे लोगो सोच लो समझ लो हमे खूब देख लो और परख लो तब खुदाई खिदमतगार बनो ताकि बाद में पछतावा न हो | हमारे रास्ते कठिन हैं | मकसद दूर और बड़ा हैं | इसमें फ़ौरन न ख़ुशी हैं न कोई फल हैं | सिर्फ काम हैं इंसानियत का काम | खिदमते खल्क हैं जिसके रास्ते में भूकंप, बाड़, तबाही, दर्द, दुःख के रोड़े हैं इन्हें पार करके जाना हैं | मीलो जाना हैं जिसमे कहीं ठहराव नही हैं | अगर आप तैयार हो सके तो यकीं माने ईश्वर के साथ |

Saturday, 2 January 2016

एक अहसास !

अजीब कशमकश में डुबा हुआ तुम्हारे बारे में सोच रहा था की कलम खुद से चलने लगी ।  समझ् में नही आ रहा कि ऊपर वाले ने किसी को इतना प्यारा भी बनाया है। एक इन्सान में इतनी सारी खुबी कैसे हो सकती है मैने कभी तसव्वुर भी नही किया थ। के मुझ् नाचीज को कोई इतना अच्छा लग जायेगाा। तुम एक सुबह की तरह हो जिसका मुझ् हर रात के बाद इंतजार रहता है। तुम वह खिलता हुआ फूल हो जिसे देखकर लगता है दूनिया तुम्हारे लियेे ही बनी है। तुम्हारी हर एक अदा दिल का छू जाती है। तुम्हारा मुझ्से रुठना बात बात पर झ्ागड़ा करना लगता है हम दोनो एक दूसरे के लिये ही  बने हो तुमको चिढ़ाना और परेशान करना मुझ्ो अच्छा लगता है। रात में जब चांद पर नजर जाती है तो लगता है कि वह तुम हों। तुम्हारे बालों को देखकर लगता है तुम काली रात जैसी है। तुम्हे शायद अंदाजा भी नही कि तुम जिन रास्तो से गुजरती हो वह तुम्हारा इंतजार करते है। मानो जैसे एक अच्छे मौसम के बाद पंछी आसमान में अपने पंख फैलाकर उड़ते है। तुम वह फूल कि तरह हो जिसका कहीं भी रखा जाये तो वह सारी जगह को महका दें ।अब बस नही तो यह कलम भी तुमसे प्यार करने लगेगी और यह लिख भी नही पायेंगी ।

#ehsaas