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Tuesday, 3 March 2015

अरविन्द केजरीवाल जी से छोटा मुंह और बड़ी बात

Right to left Arvind Kejriwal,Manish Sisodiya,Prashant bhushan,Yogendra Yadav
अरविन्द केजरीवाल जी से छोटा मुंह और बड़ी बात क्योंकि मु़झे लगता है कि आम आदमी पार्टी अब पूंजीवादी तथा कुछ साम्प्रदायिक शक्तियो की साजिश का शिकार हो रही है। क्युकि हाल कि दिनो में जो चल रहा है उससे यही बात सामने आ रही है। पहले शाजिया ईल्मी ( जो कि पार्टी के संस्थापक सदस्यो में से रही है) को पार्टी से साजिशन निकलने को मजबूर कर दिया गया हो। उसके बाद इस चुनावी नतीजो के बाद सबसे पहले अरविन्द केजरीवाल के सबसे करीबी मनीष सिसोदिया जिनको दिल्ली सरकार के सारे विभाग (पार्टी की कार्यकारिणी द्धारा लिया गया निर्णय) देकर उलझा दिया गया(जो खुद ही इतना कामो में उलझे रहेंगे तो केजरीवाल की क्या मदद कर पाएंगे ) जिससे वह खुद बखुद केजरीवाल से दूर हो गये उसके बाद नंबर आता है। प्रशान्त भूषण (जो कि गरीबो के वकील कहे जाते है मानवाधिकार मामलो के ज्यादातर मुकदमें खुद ही लड़ते है) को और योगेन्द्र यादव जिनके बारे में मुझे नही लगता कुछ भी बताने की जरुरत है।बस इतना जान लीजिए देश के जाने माने चुनावी विश्लेषक है। उनको हटाने के लिए पार्टी के अंदरखाने से विरोध के स्वर बाहर आ रहे है, उसमें सबसे आगे आईबीएन7 के पूर्व पत्रकार आशुतोष जिनको जब नौकरी जाने का खतरा लगा तो तुरंत नौकरी छोड़ कर पार्टी ज्वाइन कर लिया पर उनकी विश्वसनीयता पर अभी भी संशय बरकरार है। क्या पता वे पार्टी में पुंजीवादियो के समर्थन में एक मुहीम चला रहे हो और संजय सिंह जिनको आंदोलन और पार्टी बनने से पहले तक कोई नही जानता था। वे भी आशुतोष के साथ कंधे से कधा मिलाकर उनकी इस मुहीम में मदद कर रहें है। अब बचे अरविन्द केजरीवाल वह तो अपने आप आशुतोष, संजय सिंह, और कुमार विश्वास जैसे नेताओ से घिर कर रह जायेगें,फिर मुझे नही लगता अरविन्द केजरीवाल अपने विवके से कोई फैसला कर पायेंगें अगर करेंगें भी तो उसमें कहीं न कही संघ परिवार और पूंजीवादी ताकतो को ही मदद मिलेगी।

Wednesday, 10 April 2013

गाँधी की राह पर आम आदमी पार्टी ?



6 अप्रैल 2013 को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने 22 मार्च से चल रहे 15 दिनो का उपवास यह कहते हुए समाप्त किया कि आज के ही दिन 1930 में गांधी जी ने नमक का कानून तोड़ा था और वे उसी से प्रेरणा लेते हुए अपना उपवास समाप्त कर रहे है। दूसरी तरफ आम आदमी के कार्यकर्ताओं के द्वारा यह प्रचारित करते हुए देखा गया कि वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पर उनके उपवास को ज्यादा तव्ज्जोह न देने का आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि मीडिया उनके उपवास से ज्यादा फालतू की खबरांे पर ध्यान दे रही है। खैर, वो भी सही कह रहे है। आजकल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया से निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद एक कोरी कल्पना मात्र बन कर रह गया है। आज के संदर्भ में आम जनमानस के मन में मीडिया की भूमिका लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जगह ह्यमीडिएटरह्य की बन गई है। लोग अपनी राजनीतिक पहचान पहचान बनाने के के लिए पत्रकारिता को भी चुनते है। दूसरी बात यह है कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की मीडिया के प्रति नाराजगी आखिर क्यूं है? जबकि वह कहते है कि उनकी पार्टी तो महात्मा गांधी की विचारधारा पर चलती है। पर उनको शायद यह याद नहीं है जब 15 अगस्त 1947 की रात में सारा भारत देश आजादी के जश्न में डूबा था। तब गांधी बापू बंगाल और पंजाब में चल रहे कत्ल-ए-आम से विचलित देश में अमन कायम करने के लिए बंगाल के बेलियाघाट में उपवास कर रहे थे। हिन्दुस्तान की आजादी के ऐतिहासिक दिन में बीबीसी ने महात्मा गांधी का देशवासियों के नाम संदेश प्रसारित करने का फैसला किया पर गांधी जी ने उनको मना कर दिया। तब बीबीसी ने कहा कि गांधी जी वास्तव में भारत की जनता की नुमांइद्गी करते हैं, और उनके संदेश को बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया जायेगा क्योंकि उनका संदेश जरुरी है। पर हमारे राष्ट्रपिता ने उनको उत्तर दिया कि मुझे अंग्रेजी नही आती। आप नेहरु जी से बात कर लीजिए। दो राज्यो में चल रहे सांप्रदायिक दंगो से आहत बापू ने आजादी के जश्न को मनाने के बजाय एक दिन का उपवास रखना ज्यादा जरूरी समझा। उस मौके पर गांधी जी ने अपना संदेश बीबीसी को देने के बजाय बेलियाघाट के मैदान में खड़े होकर दिया। जिसे 30 हजार लोगांे की भीड़ ने सुना। इस बात का जिक्र यहां पर इसलिये करना पड़ा क्योंकि आज आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता मीडिया पर इल्जाम आखिर क्यूं लगा रहे हंै? क्या उनके पास गांधी टोपी और असहयोग आंदोलन सिर्फ मीडिया में आने के लिए ही है अमली जामें में नहीं ।  क्योंकि दिल्ली में हर रोज किसी न किसी नाम से चल रहे अनशन से जनता बोर हो चुकी है और आईपीएल भी अपने शबाब पर है। अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल भी सरकार को ब्लैकमेल से ज्यादा कुछ नहीं कर पाए, और अब उनका भी जादू बेकार है।

अनस गुरु