सुबह एक डर था मन में जब सुनाई दे रहा था भाजपा जीत गयी । भाजपा समर्थक मित्र हैं ट्विटर पर पोस्ट भी किये थे । "पुरुष्कार गया,सम्मान गया और अब बिहार गया" मन में यही सवाल था क्या (गोविन्द पंसारे, कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर, मोहसिन शेख, मुहम्मद अखलाक़ और भी बहुत से नाम हैं )जिन्हे सांप्रदायिक ताकतों ने भीड़ की शक्ल में मार दिया। क्या उनकी मौत सही थी ? क्या दादरी में जो हुआ वो सही था । अल्लाह से यही दुआ की अगर इस देश के नसीब में आपने साम्प्रदायिकता ही लिख दिया हैं तो कोई नही हम फिर से लड़ेंगे साम्प्रदायिकता के खिलाफ अगर आप अच्छा चाहते हैं । किसी के लिए नमाज़ रोज़ा नही किया पर आज सिर्फ साम्प्रदायिकता की हार के लिए किया, दुआ क़ुबूल भी हुयी नतीजा सामने हैं । एक अच्छी चीज ये भी हुयी तथाकथित सांप्रदायिक पहचान बन गयी पार्टी मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी अपना खाता नही खोल पायी । बस दिल से दुआ हैं सभी बिहार के लोगो से की आपने अपने साथ साथ हमारे उत्तर प्रदेश को जलने से बचा लिया क्यूंकि यहाँ पर मुलायम सिंह यादव और मोदी मिलकर प्रदेश को मुजफ्फर नगर से भी ज्यादा जलाते । ख़ुशी हैं और उम्मीद भी अब इस देश में चुनाव में मुद्दे शायद साम्प्रदायिकता न हो । एक अच्छी रात हैं फिर से अच्छी सुबह के लिए । ख़ुशी के आंसू शायद न दिखे पर हैं तो हैं । लव यु आल बिहारवासी आपने देश को फिर से एक नयी दिशा दी धन्यवाद ।
No comments:
Post a Comment