कलाम साहब के निधन के साथ देश ने एक सामान्य व्यक्तित्व जीने वाले राष्ट्रपति को खो दिया जिनको लोग प्यार से काका भी कहते थे। अपना राष्ट्रपति पद के दायित्व के निर्वहन के बाद भी जनता से जुड़े रहे और रोज बरोज नए से नए तरीको से लोगो से रूबरू होते थे | एक नाविक के बेटे से देश के राष्ट्रपति तक के सफ़र में उन्होंने काफी उतार चड़ाओ देखें | उनका जीवन तो हमेशा उपलब्धि से भरपूर रहा कभी मिसाइल मैंन के रूप में तो कभी महामहिम के रूप में | पर मेरे लिए तो कलाम साहब हमेशा सेकुलरिज्म के मार्गदर्शक की तरह रहे, क्यूंकि किसी मुसलमान व्यक्ति के नाम आने के बाद लोगो के जेहन में अबू सलेम, ओसामा या फिर दावूद जैसे कुख्यात लोगो का चेहरा सामने आ जाता हैं (इस पर फिर कभी कुछ गलतियां मुसलमानों की भी हैं) पर कलाम साहब को देखने के बाद लोग हमेशा उन्हें इज्जत से ही देखते थे | कलाम साहब एक करार तमाचा भी थे उन लोगो पर जो गाहे बगाहे मदरसों को आतंक का गढ़ बताने में नही चुकते (नाम फिर कभी क्यूंकि अभी उनका नाम लेकर गंदगी नही फैलानी) क्यूंकि उनकी शुरुवाती पड़ाई एक मदरसे में ही हुयी थी |
इस दुःख भरी घडी में खुदा से यही दुआ हैं की अल्लाह उनकी जन्नतुल फिरदौस अता करें आमीन |
और उनको हिम्मत जो उनकी मौत से बहुत दुखी हैं |
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