एक शहर में एक बच्च पैदा हुआ, अनाथ मां बाप के रहते अनाथ जी हां अनाथ क्योकि वह किसी ऐसी मां और बाप से पैदा हुआ था जो उसे नाम देते हुए डरते थे। फिर क्या उसको उसकी असली जगह कुड़े घर में रात के अंधेरे में पहुचां दिया गया। जिसे शहर के एक कुड़ा बीन्ने वाले ने जिसका नाम था रामु उसने उठा कर घर ले आया, और उसको पालने की जिम्मेदारी ले ली। रंग काला था, तो उसका नाम रख दिया कालिया बाबू कूड़े घर से कुछ दूरी पर बसी झुग्गी-झोपडि़यो में से एक घर था जो रामु का था। उसमें धीरे धीरे कालिया बड़ने लगा। कालू जैसे जैसे बड़ता गया। वैसे वैसे रामु ज्यादा शराब पीने लगा और कालिया को शराब के नशे में पीटने लगा। लेकिन कालिया उसकी पिटाई का बुरा नहीं मानता था। क्योंकि जब रामू नशे में नही होता था तो उसे बहुत प्यार करता था। इसे तरह दिन बीत रहे थे। और ज्यादा शराब पीने की वजह से रामु और कमजोर हो गया था और इसी तरह एक दिन रामू ने कुछ ज्यादा ही शराब पी थी और ज्यादा नशे में होने की वजह से वह सड़क पर कुछ उत्पात कर रहा था। तब वहां पुलिस आ गयी और रामु को पकड़ कर ले गयी और बंद कर दिया। पर कालिया जो कि अभी समाज के तौर तरीको से बिल्कुल अन्जान था। उसे पता ही न चला। और जब कोई रामु की पैरवी करने वाला नहीं मिला तो पुलिस ने उसे शहर के बाहर दूर जंगल में ले जाकर मार दिया और नामचीन रिर्पोटरो को बुलाकर उसकी रिपोर्ट दी फिर क्या सभी प्रतिष्ठत मीडिया चैनलो पर पूरे हफ्ते एक ही खबर थी। पुलिस मुठभेड़ में एक बहुत बड़ा गुंडा मारा गया, और फिर क्या चुनाव नजदीक थे तो तुरंत सरकार ने सभी पुलिस वालो को आगामी 15 अगस्त बहादुरी के पुरस्कार से पुरस्कृत करने का एलान कर दिया। और इन सब में जो अकेला रह गया था उसका नाम था कालिया वह एक बार फिर से अनाथ हो गया। दिन भर कुड़ा घर से प्लास्टिक बिन कर बेचने पर जो पैसा मिलता उससे गुजारा करने लगा । लेकिन शहर के तथाकथित सभ्य और समाज सेवको को वह कुड़ा घर और उसके पास बसी हुई झुग्गी प्र्यावरण के लिये नुकसानदेह लगी। असल में नुकसानदेह क्या किसी बडे़ प्रतिष्ठित आदमी को वह जगह पसंद आ गयी थी। और बस इसी वजह से सरकार और कुछ गैर सरकारी संस्थाओ ने प्र्यावरण का बहाना दिखाकर उस कुड़े घर तथा झुग्गी को गैर कानुनी घोषित करवा कर उजड़वा दिया। जो लोग समर्थ थे उन्होने अपना आशियाना कहीं और बना लिया था। लेकिन कालिया सड़क पे आ गया कुड़ा घर दुर होने की वजह से वह बहुत कम कुड़ा बटोर पाता था। जिन्हे बेचने पर उसे भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाता था। भीख मांगनेे जाता तो समाज सुधारक लोगो नें कहा कि कमाकर खाओ। और जब काम मांगने गया तो सबने कहा तु तो चेहरे से चोर लगता है तुझे काम क्युं दूं। अब धीरे धीरे कम भोजन मिलने की वजह से वह घरो में भोजन मांगने निकल पड़ा पर जिस घर में वह जाता वहां उससे पहले उसका धर्म पुछा जाता ताकि लोग अपने धर्म के अनुसार ही उसे भोजन दे अगर हिन्दू हो तो हिन्दू के घर से और मुस्लिम हो तो मुस्लिम के घर से उन्हे अपने धर्म के अनुसार पुण्य मिले, पर उसे तो अब तक अपने धर्म का पता ही नहीं था। और कम भोजन मिलने की वजह से उसका शरीर बहुत कमजोर हो गया था। जिसकी वजह से उसके काम करने की क्षमता भी कम होती गयी. भूख के मारे तड़प रहा कालिया एक दिन सड़क से गुजर रहा था कि उसने देखा की सड़क के उस पार एक सुदंर से मकान से किसी ने रोटियां बाहर फेकी और कुछ आवारा कुत्ते उस रोटी की तरफ दौड़े कालिया ने सोचा कि उन कुत्तो के पहुंचने से पहले वो उन रोटियों तक पहुंच जाए तो रोटियां उसे मिल सकती है। सो वह बिना इधर उधर देखें सड़क के उस पार दौड़ पड़ा. तभी एक तेज रफतार से आते हुए टध्क नें उसे धक्का मार दिया। कालिया ने वही दम तोड़ दिया। उसकी लाश के इर्द गिर्द भीड़ जमा हो गयी। किसी को वह चोर नजर आया,जो कुछ चुराकर भाग रहा था। तो किसी को सौतेली मां का सताया नजर आया। पर किसी को वो भूखा नजर नहीं आया कुछ देर बाद कुछ पुलिस वाले आए और उसकी लाश ले गये । औपचारिकतायें पुरी करके कालिया का अंतिम संस्कार कर दिया गया। कितना महान है ना यह हमारा भारत देश जहां एक अनाथ का भी अंतिम संस्कार हो जाता है।
चेहरा बता रहा था.. कि मारा है भूख ने..........
हकीम कह रहे थे... कि कुछ खाकर मरा है......
मोहम्मद अनस गुरु